Search Box

Wednesday, 25 December 2024

विषय: लीज़ पर लिए गए वैगनों के लिए ई-वे बिल (EWB) सिस्टम में रसीद नंबर दर्ज करने के लिए विस्तृत दिशा-निर्देश

जीएसटी एडवाइजरी: 23 दिसंबर 2024          


 यह सलाह GSTN द्वारा लीज़ पर लिए गए वैगनों (Leased Wagons) के लिए ई-वे बिल (EWB) प्रणाली में रसीद नंबर दर्ज करने के लिए प्रक्रिया को स्पष्ट करने और त्रुटियों को रोकने के लिए जारी की गई है। इन निर्देशों का पालन कर आप न केवल अनुपालन सुनिश्चित करेंगे, बल्कि अपने माल के सुचारू परिवहन में भी मदद करेंगे।

1. रसीद नंबर दर्ज करने के लिए प्रीफिक्स का उपयोग

a) लीज़ पर लिए गए वैगनों के लिए (Leased Wagons):

  • लीज़ पर लिए गए वैगनों के माध्यम से माल का परिवहन करने वाले करदाताओं को रसीद नंबर के आगे "L" प्रीफिक्स जोड़ना होगा।
  • यह प्रीफिक्स दर्शाता है कि माल लीज़ पर लिए गए वैगन द्वारा ले जाया जा रहा है।

b) अन्य रेलवे मोड्स के लिए:

  • पार्सल मैनेजमेंट सिस्टम (PMS): PWB नंबर दर्ज करते समय "P" प्रीफिक्स का उपयोग करें।
  • फ्रेट ऑपरेशन इंफॉर्मेशन सिस्टम (FOIS): RR नंबर दर्ज करते समय "F" प्रीफिक्स का उपयोग करें।

लागू तिथि:
यह प्रावधान 1 जनवरी 2025 से अनिवार्य होगा।


2. ई-वे बिल के पार्ट-B में रेल परिवहन का चयन

ई-वे बिल बनाते समय निम्नलिखित कदम उठाएं:

  1. मल्टी-ट्रांसपोर्ट मोड का चयन करें।
  2. पार्ट-B में परिवहन मोड "Rail" का चयन करें।
  3. रसीद नंबर के आगे संबंधित प्रीफिक्स जोड़कर सही प्रारूप में दर्ज करें।

उदाहरण:

  • यदि रसीद नंबर 987654321 है और माल लीज़ पर लिए गए वैगन में जा रहा है, तो इसे L987654321 के रूप में दर्ज करें।
  • यदि वही माल PMS के अंतर्गत जा रहा है, तो इसे P987654321 के रूप में दर्ज करें।

3. रसीद नंबर दर्ज करने का सही प्रारूप

लीज़ वैगनों के लिए प्रारूप:

L <रसीद नंबर>

  • उदाहरण: L123456789

PMS और FOIS के लिए प्रारूप:

  • PMS: P123456789
  • FOIS: F123456789

अधिक उदाहरण:



4. सत्यापन प्रक्रिया (Validation Process)

  • रसीद नंबर दर्ज करने के बाद, सिस्टम इसे प्रासंगिक डेटाबेस के साथ सत्यापित करेगा।
  • यदि रसीद नंबर या प्रीफिक्स गलत है, तो सिस्टम आपको अलर्ट करेगा।
  • करदाता को तुरंत त्रुटि सुधार कर सही नंबर दर्ज करना होगा।

सामान्य गलतियां:



5. मदद और समर्थन (Support)

यदि आपको किसी प्रकार की समस्या हो, तो निम्नलिखित मदद प्राप्त करें:

  1. ई-वे बिल सपोर्ट पोर्टल पर टिकट दर्ज करें।
  2. अपनी प्रविष्टि से संबंधित सभी विवरण (जैसे रसीद नंबर और प्रीफिक्स) प्रदान करें।
  3. अधिक सहायता के लिए जीएसटी हेल्पडेस्क से संपर्क करें।

6. विस्तृत उदाहरण और परिदृश्य (Scenarios):

परिदृश्य 1: लीज़ वैगन द्वारा परिवहन

  • रसीद नंबर: 678901234
  • दर्ज किया गया प्रारूप: L678901234
  • मोड: Rail

परिदृश्य 2: PMS द्वारा परिवहन

  • रसीद नंबर: 112233445
  • दर्ज किया गया प्रारूप: P112233445
  • मोड: Rail

परिदृश्य 3: FOIS द्वारा परिवहन

  • रसीद नंबर: 998877665
  • दर्ज किया गया प्रारूप: F998877665
  • मोड: Rail

7. महत्वपूर्ण सुझाव

  1. सटीक जानकारी दर्ज करें: सुनिश्चित करें कि रसीद नंबर और प्रीफिक्स सही हैं।
  2. डेटा को दोबारा जांचें: फाइनल सबमिशन से पहले रसीद नंबर और मोड का सत्यापन करें।
  3. प्रशिक्षण: अपने स्टाफ को इन नए निर्देशों के बारे में प्रशिक्षित करें।

Regard 
Adv Sarfaraj Ansari

Monday, 23 December 2024

55वीं GST काउंसिल बैठक के महत्वपूर्ण निर्णय और बदलाव

55वीं GST काउंसिल बैठक के मुख्य निर्णय:

1. पोषित चावल के कर्नल्स - GST दर में कटौती
पोषित चावल के कर्नल्स पर GST दर को 5% कर दिया गया है।
उदाहरण: यदि कोई निर्माता पोषित चावल के कर्नल्स बनाता है, तो इन वस्तुओं पर अब 5% GST लगेगा, जो पहले उच्च दर पर था।

2. जीन थेरेपी और जीवन-रक्षक दवाइयों पर GST छूट
जीन थेरेपी और जीवन-रक्षक दवाइयों पर पूरी तरह से GST छूट दी जाएगी।
उदाहरण: दुर्लभ बीमारियों या आनुवंशिक विकारों के लिए उपयोग की जाने वाली दवाइयां अब GST से मुक्त होंगी, जिससे मरीजों का खर्च कम होगा।

3. मर्चेंट एक्सपोर्ट्स पर मुआवजा उपकर (Compensation Cess) में कमी
मर्चेंट एक्सपोर्ट्स को आपूर्ति करने पर मुआवजा उपकर को 0.1% कर दिया गया है।
उदाहरण: यदि आपूर्ति करने वाला किसी निर्यातक को 1,00,000 रुपये का माल बेचता है, तो अब मुआवजा उपकर केवल 100 रुपये होगा।

4. IAEA सैंपल्स पर IGST छूट
IAEA को भेजे गए सैंपल्स पर IGST छूट, विशिष्ट शर्तों के तहत।
उदाहरण: यदि किसी देश द्वारा वैज्ञानिक परीक्षण के लिए IAEA को सैंपल्स भेजे जाते हैं, तो इन वस्तुओं पर IGST नहीं लगेगा।

5. AAC ब्लॉक्स - GST स्पष्टीकरण
50% से अधिक फ्लाई ऐश सामग्री वाले ऑटोक्लेव्ड एराटेड कंक्रीट (AAC) ब्लॉक्स पर 12% GST लागू होगा।
उदाहरण: निर्माणकर्ता यदि 50% से अधिक फ्लाई ऐश सामग्री वाले AAC ब्लॉक्स का उपयोग करते हैं, तो उन्हें 12% GST देना होगा।

6. मुफ्त आपूर्ति के लिए खाद्य सामग्री इनपुट - GST छूट
मुफ्त आपूर्ति के लिए खाद्य तैयारी के लिए उपयोग किए गए इनपुट्स पर GST छूट।
उदाहरण: यदि एक चैरिटेबल संगठन गरीबों के लिए मुफ्त भोजन तैयार करता है, तो सामग्री पर GST नहीं लगेगा।

7. कृषि से हरी और काली मिर्च पर GST छूट
कृषि उत्पादकों द्वारा बेची गई हरी और काली मिर्च पर GST नहीं लगेगा।
उदाहरण: यदि एक किसान ताजे काले मिर्च को थोक विक्रेता को बेचता है, तो उसे GST नहीं देना होगा।

8. पेमेन्ट एग्रीगेटर्स - 2000 रुपये से कम की भुगतान प्रक्रिया पर GST छूट
पेमेन्ट एग्रीगेटर्स जो 2000 रुपये से कम के भुगतानों पर प्रक्रिया करते हैं, उन्हें GST छूट मिलेगी।
उदाहरण: यदि एक पेमेन्ट एग्रीगेटर छोटे ऑनलाइन लेन-देन को प्रोसेस करता है, तो उस पर GST नहीं लगेगा।

9. पेमेन्ट गेटवे पर छूट नहीं
पेमेन्ट एग्रीगेटर्स की छूट पेमेन्ट गेटवे पर लागू नहीं होगी।
उदाहरण: यदि एक पेमेन्ट गेटवे 2000 रुपये से ऊपर के भुगतानों की प्रक्रिया करता है, तो उस पर GST लगेगा।

10. बैंकों द्वारा पेनल शुल्क पर GST नहीं
बैंकों द्वारा उधारकर्ताओं से लिए गए पेनल शुल्क पर GST नहीं लगेगा।
उदाहरण: यदि उधारकर्ता कर्ज में चूक करता है, तो बैंक द्वारा लगाए गए पेनल शुल्क पर GST नहीं लगेगा।

11. बीमा प्रीमियम दरों में कटौती पर निर्णय नहीं
GST काउंसिल ने बीमा प्रीमियम पर दर कटौती या सामान्यीकरण पर कोई निर्णय नहीं लिया।
उदाहरण: स्वास्थ्य या जीवन बीमा प्रीमियम पर वर्तमान GST दर अपरिवर्तित रहेगी।

12. स्मॉल कंपनियों के लिए सरल GST पंजीकरण प्रक्रिया
छोटे कंपनियों के लिए GST पंजीकरण प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए काउंसिल ने अवधारणा नोट को मंजूरी दी।
उदाहरण: अब छोटे व्यवसायों को GST पंजीकरण में कम अनुपालन बाधाओं का सामना करना पड़ेगा।

13. प्री-पैकेज्ड और लेबल्ड वस्तुओं की परिभाषा में विस्तार
प्री-पैकेज्ड और लेबल्ड वस्तुओं की परिभाषा अब सभी रिटेल बिक्री के लिए तैयार वस्तुओं को शामिल करेगी।
उदाहरण: पैक किए गए खाद्य उत्पाद जैसे बिस्कुट या स्नैक्स अब इस परिभाषा के तहत आएंगे, जिससे GST के नियम समान होंगे।

14. वित्त मंत्री की मीडिया को सलाह
वित्त मंत्री ने मीडिया को दरों में कटौती या वृद्धि पर अटकलबाजी से बचने की सलाह दी।
उदाहरण: वित्त मंत्री ने कहा कि दरों में बदलाव के बारे में किसी भी समाचार को केवल आधिकारिक घोषणाओं पर आधारित होना चाहिए, न कि मीडिया की अटकलबाजी पर।

15. रीयल एस्टेट क्षेत्र में FSI पर निर्णय स्थगित
रीयल एस्टेट क्षेत्र में FSI पर RCM या FCM की लागूता पर निर्णय स्थगित किया गया।
उदाहरण: रीयल एस्टेट डेवलपर्स को FSI पर GST लागू होने के बारे में और स्पष्टीकरण का इंतजार करना होगा।

16. ATF (एविएशन टरबाइन फ्यूल) को GST के तहत लाने पर सहमति नहीं
एविएशन टरबाइन फ्यूल (ATF) को GST के तहत लाने के प्रस्ताव पर सहमति नहीं हुई।
उदाहरण: एयरलाइंस को ईंधन पर राज्य-विशिष्ट VAT या अन्य करों का भुगतान जारी रखना होगा, न कि GST।

17. स्किल ट्रेनिंग काउंसिल के प्रशिक्षण भागीदारों को GST से छूट
स्किल ट्रेनिंग काउंसिल के प्रशिक्षण भागीदारों को GST से छूट मिलेगी।
उदाहरण: सरकारी योजनाओं के तहत कोर्स करने वाले प्रशिक्षण संस्थानों पर GST लागू नहीं होगा।

18. कैरेमलाइज्ड पॉपकॉर्न और नमकीन पॉपकॉर्न पर GST का भिन्न treatment
कैरेमलाइज्ड पॉपकॉर्न (जिसमें शक्कर मिलाई गई हो) को नमकीन पॉपकॉर्न से अलग तरीके से GST में treat किया जाएगा।
उदाहरण: शक्कर से तैयार कैरेमलाइज्ड पॉपकॉर्न पर अलग दर से GST लगेगा, जबकि नमकीन पॉपकॉर्न पर अलग दर होगी।

19. नए EVs पर 5% GST
नए इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) पर 5% GST लागू होगा।
उदाहरण: यदि कोई ग्राहक नया इलेक्ट्रिक कार खरीदता है, तो उस पर 5% GST लगेगा।

20. दूसरे हाथ के EVs पर 18% GST
दूसरे हाथ के इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री पर 18% GST लगेगा।
उदाहरण: यदि कोई डीलर एक उपयोग की गई इलेक्ट्रिक कार बेचता है, तो उसे बिक्री के मुनाफे पर 18% GST देना होगा।


Regard
एडवोकेट
Sarfaraj Ansari

कंपोजीशन करदाताओं को बड़ी राहतव्यावसायिक किराए पर रिवर्स चार्ज खत्म 10 अक्टूबर 2024 से प्रभावी

🌟 महत्वपूर्ण GST अपडेट: कंपोजिशन करदाताओं के लिए 🌟

GST काउंसिल ने हाल ही में एक बड़ा बदलाव किया है जो छोटे करदाताओं, खासतौर पर कंपोजिशन स्कीम के तहत आने वालों, को प्रभावित करेगा।

🔄 10 अक्टूबर 2024 से, रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म (RCM) के तहत रजिस्टर्ड व्यक्तियों द्वारा अनरजिस्टर्ड व्यक्तियों से कमर्शियल प्रॉपर्टी किराए पर लेने पर GST लागू नहीं होगा, अगर किरायेदार कंपोजिशन करदाता है।

यह बदलाव कंपोजिशन करदाताओं को बड़ी राहत प्रदान करेगा, जो पहले RCM के तहत GST चुकाते थे लेकिन उसके लिए इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) का लाभ नहीं ले सकते थे।

मुख्य बिंदु:
1. यह राहत सिर्फ कंपोजिशन करदाताओं के लिए है, नियमित करदाताओं के लिए नहीं।

2. यह नियम 10 अक्टूबर 2024 से लागू होगा। पहले चुकाए गए टैक्स का रिफंड उपलब्ध नहीं होगा।

इस बदलाव के फायदे:
कम्प्लायंस में कमी: कंपोजिशन करदाताओं को अब इस प्रकार की लेनदेन पर RCM के तहत GST भरने की जरूरत नहीं है।

खर्चों में बचत: चूंकि कंपोजिशन करदाता ITC क्लेम नहीं कर सकते, यह बदलाव उनकी आर्थिक स्थिति को मजबूत करेगा।

कोई रिफंड नहीं: 10 अक्टूबर 2024 से पहले चुकाए गए GST का रिफंड नहीं मिलेगा, इसलिए सही तिथि के बाद से इस नियम का पालन करें।

सलाह:
लेनदेन की समीक्षा करें: 10 अक्टूबर 2024 के बाद के सभी रेंटल एग्रीमेंट्स और लेनदेन की जांच करें।

रिकॉर्ड्स बनाए रखें: इस नियम के तहत सही दस्तावेज़ रखें ताकि आवश्यकता पड़ने पर इसे सिद्ध किया जा सके।

भूमि मालिकों को सूचित करें: रेंटल देने वालों को इस बदलाव के बारे में जानकारी दें ताकि अनावश्यक GST चालान से बचा जा सके।

यह अपडेट छोटे करदाताओं को राहत देने और उनके अनुपालन बोझ को कम करने की दिशा में एक सकारात्मक कदम है।

Regard
Advocate
Sarfaraj Ansari

Sunday, 1 December 2024

उच्च न्यायालय का निर्देश, आदेश से पहले व्यक्तिगत सुनवाई अनिवार्यप्राकृतिक न्याय सुनिश्चित करने के लिए जीएसटी विभाग की सख्त कार्रवाई जारी किया Circular (नम्बर- 1518)

उत्तर प्रदेश जीएसटी विभाग ने अधिकारियों को करदाताओं के खिलाफ आदेश पारित करने से पहले उचित व्यक्तिगत सुनवाई प्रदान करने के लिए सख्त निर्देश जारी किए हैं। यह कदम इलाहाबाद उच्च न्यायालय के कई आदेशों के बाद उठाया गया है, जिसमें व्यक्तिगत सुनवाई न देने को प्राकृतिक न्याय के उल्लंघन के रूप में देखा गया।

धारा 75(4) के तहत यह अनिवार्य है कि यदि करदाता सुनवाई की मांग करता है या प्रतिकूल निर्णय की संभावना है, तो व्यक्तिगत सुनवाई दी जानी चाहिए। हाल ही में, अदालत ने सुनवाई के बिना पारित आदेशों को रद्द कर दिया और अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि सुनवाई की तारीख और समय स्पष्ट रूप से निर्दिष्ट हों। इसके साथ ही, जिन अधिकारियों ने इस नियम का पालन नहीं किया, उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई के निर्देश भी दिए गए हैं।

28 नवंबर 2024 को Circular संख्या 1518 जारी किया गया, जिसमें यह सुनिश्चित करने के लिए सख्त निर्देश दिए गए हैं कि आदेश पास करने से पहले सुनवाई का उचित अवसर दिया जाए।




Thursday, 28 November 2024

"PAN 2.0: पैन सेवाओं का एकीकृत और स्मार्ट समाधान"



PAN 2.0 परियोजना के तहत मौजूदा पैन कार्ड धारकों को नया पैन बनवाने की आवश्यकता नहीं होगी। उनका वर्तमान पैन कार्ड PAN 2.0 में भी पूरी तरह मान्य रहेगा।

यह परियोजना पैन और टैन से जुड़ी सभी सेवाओं को एक ही पोर्टल पर उपलब्ध कराएगी, जिससे सभी सेवाओं का उपयोग करना सरल और सुविधाजनक हो जाएगा। इस पोर्टल पर निम्नलिखित सेवाएं मिलेंगी:

पैन/टैन का आवंटन, सुधार और अपडेट

ऑनलाइन पैन सत्यापन (OPV)

अपने AO (असेसिंग ऑफिसर) की जानकारी

आधार-पैन लिंकिंग

पैन सत्यापन और ई-पैन डाउनलोड

पैन कार्ड की पुनः प्रिंटिंग


PAN 2.0 में अत्याधुनिक तकनीक का उपयोग किया गया है, जो डुप्लीकेट पैन आवेदनों की पहचान और निपटान के लिए एक मजबूत और केंद्रीकृत प्रणाली प्रदान करेगा। इससे एक व्यक्ति के पास एक से अधिक पैन कार्ड होने की संभावना लगभग खत्म हो जाएगी, जिससे पैन से जुड़ी प्रक्रियाएं अधिक सुरक्षित और पारदर्शी होंगी।


Monday, 25 November 2024

व्यवसायिक किराए पर GST: रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म (RCM) और अनुपालन निर्देश

व्यवसायिक किराए पर GST: रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म (RCM) और अनुपालन निर्देश

GST कानून के तहत, व्यवसायिक संपत्ति के किराए पर रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म (RCM) के प्रावधान लागू होते हैं। यदि मकान मालिक GST पंजीकृत नहीं है या किराए पर GST चार्ज नहीं करता, तो किराएदार को रिवर्स चार्ज के तहत टैक्स का भुगतान करना अनिवार्य है।


---

क्या करें:

1. रेंट एग्रीमेंट की समीक्षा करें:

किराए की राशि और शर्तें स्पष्ट होनी चाहिए।

यदि मकान मालिक पंजीकृत है और GST चार्ज कर रहा है, तो उसकी GSTIN और इनवॉइस की जांच करें।



2. RCM के तहत भुगतान:

यदि मकान मालिक पंजीकृत नहीं है और प्रॉपर्टी व्यवसायिक उपयोग के लिए किराए पर दी गई है, तो किराएदार को हर माह GST रिवर्स चार्ज के तहत भुगतान करना होगा।

GST रेट: किराए की राशि पर 18% लागू होता है।



3. GSTR-3B में रिपोर्टिंग:

रिवर्स चार्ज के तहत भुगतान की गई GST को GSTR-3B में सही कॉलम में रिपोर्ट करें।

यदि आप GST पंजीकृत हैं, तो इसे ITC के रूप में क्लेम कर सकते हैं, यदि अन्य शर्तें पूरी होती हैं।










Monday, 18 November 2024

GST में रिटर्न देरी पर ब्याज से राहत: जानें कब और कैसे मिलेगा फायदा

GST के तहत ब्याज की गणना में राहत से संबंधित प्रावधान को बहुत अच्छी तरह से स्पष्ट किया है। इसे और अधिक सरल शब्दों में समझा जा सकते हैं



Inserted vide Notification No. 12/2024-CT dated. 10.07.2024.





क्या है यह नियम?

यदि आप रिटर्न दाखिल करने में देरी करते हैं लेकिन कर की राशि पहले से इलेक्ट्रॉनिक कैश लेजर में जमा कर दी गई है, तो उस जमा राशि पर कोई ब्याज नहीं लगेगा।

राहत किस पर लागू होगी?

केवल उस राशि पर, जो रिटर्न की नियत तारीख तक कैश लेजर में जमा है।

शेष किसी भी राशि पर (जो लेजर में जमा नहीं थी या बाद में जमा की गई), ब्याज लागू होगा।



---

मुख्य उद्देश्य:

यह करदाताओं को यह सुविधा देता है कि अगर वे समय पर कर भुगतान कर दें, तो रिटर्न दाखिल करने की देरी पर ब्याज का अतिरिक्त बोझ न पड़े।


---

उदाहरण:

GST की नियत तारीख: 20 नवंबर।

आपने कर की राशि जमा की: 18 नवंबर को (कैश लेजर में)।

रिटर्न दाखिल किया: 25 नवंबर को।


➡ इस स्थिति में 18 से 25 नवंबर तक उस जमा राशि पर ब्याज नहीं लगेगा।

लेकिन अगर कोई बकाया राशि 25 नवंबर को जमा की गई, तो उस पर नियत तारीख के बाद से ब्याज लागू होगा।


---

ध्यान देने योग्य बिंदु:

यह सुविधा तभी उपलब्ध है जब कर की राशि समय पर कैश लेजर में क्रेडिट हो चुकी हो।

यह केवल उस राशि पर लागू है, जो रिटर्न दाखिल करते समय कर भुगतान के लिए उपयोग की गई हो।


इससे करदाता समय पर भुगतान के लिए प्रोत्साहित होते हैं और अनावश्यक ब्याज से बच सकते हैं।


Sunday, 17 November 2024

Representation Regarding Non-Notification of Late Fee Table in GSTR-1Request to Drop Proceedings for Imposition of Late Fees

प्रार्थना पत्र

विषय: GSTR-1 पर विलंब शुल्क के संबंध में अपील

सेवा में,
(संबंधित अधिकारी का नाम),
(कार्यालय का पता)

मान्यवर,

निवेदन है कि निम्नलिखित तथ्यों के आधार पर GSTR-1 पर विलंब शुल्क लगाने के लिए की गई कार्रवाई को वापस लिया जाए:

1. विलंब शुल्क की तालिका GSTR-1 में अधिसूचित नहीं है

यद्यपि GST अधिनियम की धारा 47 में विलंब शुल्क लगाने का प्रावधान है और धारा 37 को शामिल किया गया है, परंतु GSTR-1 फॉर्म (जो कि नियम 59(1) के तहत अधिसूचित है) में विलंब शुल्क के लिए कोई तालिका नहीं है।

जब तक विलंब शुल्क की तालिका GSTR-1 फॉर्म में अधिसूचित नहीं होती, तब तक इसे पोर्टल पर लागू नहीं किया जा सकता और सरकार इसे वसूल नहीं कर सकती।



2. GSTR-8 पर विलंब शुल्क का उदाहरण

GSTR-8 (TCS रिटर्न) पर 26.10.2022 से पहले कोई विलंब शुल्क नहीं था।

सरकार ने विलंब शुल्क लागू करने के बाद GSTR-8 फॉर्म में ब्याज और विलंब शुल्क भुगतान की तालिका जोड़ी, और तभी इसे वसूलना शुरू किया।

GSTR-1 में ऐसी कोई तालिका अब तक अधिसूचित नहीं हुई है।



3. GSTR-1 रिटर्न नहीं, बल्कि स्टेटमेंट है

GST कानून के अनुसार GSTR-1 एक स्टेटमेंट है, रिटर्न नहीं। अतः विलंब शुल्क लागू नहीं होना चाहिए।



4. विलंब शुल्क पोर्टल पर स्वतः लागू करने का प्रस्ताव अधिसूचित नहीं हुआ

45वीं GST परिषद बैठक (17 सितंबर 2021) में यह अनुशंसा की गई थी कि GSTR-1 का विलंब शुल्क अगले खुले रिटर्न (GSTR-3B) में स्वतः जोड़ा जाएगा।

यह अनुशंसा आज तक अधिसूचित नहीं हुई है।



5. प्रारंभिक वर्षों में विलंब शुल्क नहीं लगाया गया

GST के प्रारंभिक वर्षों में GSTR-1 पर कभी भी विलंब शुल्क नहीं लगाया गया।



6. विलंब शुल्क छोटे व्यापारियों पर आर्थिक बोझ डालता है

विलंब शुल्क देरी के दिनों के आधार पर लिया जाता है, जिससे छोटे व्यापारियों को भारी आर्थिक बोझ सहना पड़ता है।




प्रार्थना:
उपरोक्त तथ्यों के आधार पर निवेदन है कि आपके कार्यालय से इस संबंध में की गई कार्रवाई को वापस लिया जाए। यदि आपके द्वारा कोई प्रतिकूल आदेश पारित किया जाना हो, तो हमें अपना पक्ष रखने का अवसर प्रदान किया जाए।

दिनांक: __________
आपका विश्वासी,
(अपना नाम और विवरण)


Representation

Subject: Request to Drop Proceedings Related to Late Fees on GSTR-1

To,
The Concerned Officer,
(Office Address)

Respected Sir/Madam,

I hereby submit this representation regarding the imposition of late fees on GSTR-1 filings. The following points are submitted for your kind consideration:

1. Non-Notification of Late Fee Table in GSTR-1

Section 47 of the GST Act provides for the levy of late fees, and Section 37 includes provisions for GSTR-1. However, the prescribed Form GSTR-1 (as per Rule 59(1)) does not include a table for late fees.

Without notifying this table in the form, the GST portal cannot operationalize the levy of late fees. Thus, in the absence of notification in the prescribed form, the late fees cannot legally be collected.


2. Case of GSTR-8 Late Fee Notification

Initially, there was no late fee provision for GSTR-8 (TCS Returns). With effect from 26.10.2022, the government decided to levy late fees on GSTR-8 and amended Section 47 to include this.

When this levy was implemented, the Form GSTR-8 was updated to include a table for interest and late fees payable and paid. Only after this notification was the late fee imposed on GSTR-8 filings.

In contrast, the Form GSTR-1 has not been updated with a similar table, and no such notification has been issued to date.


3. GSTR-1 is a Statement, Not a Return

As per the GST Law, GSTR-1 is a statement of outward supplies and not a return. Therefore, the levy of late fees on GSTR-1 is not consistent with the legal framework.


4. 45th GST Council Meeting Recommendations

The Ministry of Finance, in the 45th GST Council meeting on 17th September 2021, recommended that late fees for delayed filing of GSTR-1 should be auto-populated and collected in the next open return (GSTR-3B).

It was further suggested that this mechanism would apply prospectively from July 2021. However, this recommendation has not been notified or implemented on the GST portal to date.


5. No Late Fees Charged Initially

During the initial years of GST implementation, late fees were not charged for delayed GSTR-1 filings. The GST system did not calculate or impose such fees for GSTR-1 during that period.


6. Financial Burden on Taxpayers

The late fee is calculated based on the number of days of delay, which can impose a significant financial burden, particularly on small businesses, even when no tax liability arises from GSTR-1 filings.


Prayer

In view of the above submissions, it is respectfully requested that the proceedings for imposing late fees on GSTR-1 filings be dropped. Additionally, if an adverse order is proposed, we request an opportunity to present our case before such an order is passed.

Date: __________
Yours sincerely,
(Name)
(Designation/Contact Details)



Thursday, 14 November 2024

जीएसटी में इनवॉइस मैचिंग सिस्टम (IMS): प्रमुख विशेषताएं और कार्य करने के नियम

जीएसटी में इनवॉइस मैचिंग सिस्टम (IMS) से जुड़े मुख्य बिंदु:

1. लॉन्च की तारीख: IMS को 1 अक्टूबर से शुरू किया गया है।


2. GSTR-3B दाखिल करने पर रिकॉर्ड का हटना: एक विशिष्ट GSTR-2B अवधि के लिए GSTR-3B दाखिल होने के बाद उस अवधि के सभी स्वीकृत या अस्वीकृत रिकॉर्ड्स IMS से हटा दिए जाएंगे। केवल पेंडिंग रिकॉर्ड्स और भविष्य की अवधि के इनवॉइस ही IMS में बने रहेंगे।


3. दस्तावेज़ों की रियल-टाइम उपलब्धता: सप्लायर द्वारा GSTR-1, GSTR-1A या IFF में अपलोड किए गए दस्तावेज तुरंत IMS में प्राप्तकर्ता के लिए कार्रवाई हेतु उपलब्ध हो जाते हैं।


4. डिफॉल्ट स्टेटस - नो एक्शन: डिफॉल्ट रूप से, सभी रिकॉर्ड्स "नो एक्शन" श्रेणी में चले जाते हैं, और GSTR-2B जनरेशन के समय "नो एक्शन" वाले रिकॉर्ड को स्वीकृत माना जाएगा।


5. मल्टीपल एक्शन की अनुमति: GSTR-3B दाखिल करने से पहले प्राप्तकर्ता किसी दस्तावेज पर कई बार कार्रवाई कर सकते हैं। अंतिम एक्शन पिछली कार्रवाई को ओवरराइट कर देगा।


6. कार्रवाई के आधार पर दस्तावेजों का व्यवहार:

Accept: स्वीकृत रिकॉर्ड GSTR-2B के ‘ITC Available’ भाग में आ जाते हैं और GSTR-3B में स्वचालित रूप से शामिल हो जाते हैं।

Reject: अस्वीकृत रिकॉर्ड GSTR-2B के ‘ITC Rejected’ भाग में चले जाते हैं और GSTR-3B में शामिल नहीं होते।

Pending: पेंडिंग रिकॉर्ड्स IMS पर बने रहते हैं और GSTR-2B तथा GSTR-3B में शामिल नहीं होते। ये रिकॉर्ड तब तक IMS में रहते हैं जब तक कि उन्हें स्वीकार या अस्वीकार नहीं किया जाता, या धारा 16(4) में निर्दिष्ट समय सीमा समाप्त नहीं हो जाती।

No Action: "नो एक्शन" स्थिति वाले रिकॉर्ड GSTR-2B जनरेशन के समय स्वीकृत माने जाएंगे।



7. RCM इनवॉइस का IMS से बहिष्कार: RCM इनवॉइस IMS में शामिल नहीं हैं, लेकिन GSTR-2B में हमेशा की तरह दिखते हैं।


8. एक्सेल डाउनलोड सुविधा: IMS डेटा को एक्सेल में डाउनलोड किया जा सकता है।


9. क्रियाओं का समय और GSTR-2B ऑटो-पॉप्युलेशन: यदि GSTR-2B जनरेशन से पहले रिकॉर्ड्स पर कार्रवाई की गई है, तो वे GSTR-3B में स्वतः शामिल हो जाते हैं। यदि GSTR-2B जनरेशन के बाद कार्रवाई की गई, तो प्राप्तकर्ता को GSTR-3B में "Compute GSTR-2B" पर क्लिक करना होगा ताकि बाद की कार्रवाइयों का प्रभाव जोड़ा जा सके।


10. GSTR-2B जनरेशन के लिए फाइलिंग शर्त: यदि पिछली अवधि का GSTR-3B दाखिल नहीं किया गया है, तो अगले महीने की 14 तारीख को ड्राफ्ट GSTR-2B जनरेट नहीं होगा।


11. त्रैमासिक करदाताओं के लिए: तिमाही आधार पर रिटर्न भरने वाले करदाताओं के लिए तिमाही के पहले दो महीनों (M1 और M2) के लिए GSTR-2B जनरेट नहीं होगा।


12. GSTR-2A का निरंतर जनरेशन: GSTR-2A पूर्व की तरह जनरेट होता रहेगा।


13. पुनः गणना की आवश्यकता: यदि GSTR-2B ड्राफ्ट जनरेशन के बाद IMS डैशबोर्ड पर प्राप्तकर्ता द्वारा कोई बदलाव किए जाते हैं, तो GSTR-2B की पुनः गणना अनिवार्य है।


14. कार्रवाई की परिभाषाएं:



Accept: लेन-देन प्राप्तकर्ता के व्यवसाय से संबंधित हैं।

Reject: लेन-देन प्राप्तकर्ता के व्यवसाय से संबंधित नहीं हैं (यह केवल आईटीसी न लेने का मतलब नहीं है)।

Pending: लेन-देन प्राप्तकर्ता के व्यवसाय से संबंधित हैं, लेकिन वर्तमान जीएसटी प्रावधानों के कारण आईटीसी के लिए पात्र नहीं हैं।



Tuesday, 12 November 2024

वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए ITC क्लेम: महत्वपूर्ण GST नियम, शर्तें, और अनुपालन दिशा-निर्देश

FY 2023-24 के लिए ITC (इनपुट टैक्स क्रेडिट) को अंतिम रूप देने के प्रमुख नियम और धाराएं

GST कानून में ITC से संबंधित प्रावधानों का पालन करना महत्वपूर्ण है ताकि आपका ITC क्लेम नियमों के अनुरूप हो और आप किसी भी संभावित पेनल्टी या दंड से बच सकें। यहाँ कुछ मुख्य नियम और धाराओं का विवरण है जो FY 2023-24 के लिए ITC क्लेम करने में आपकी सहायता करेंगे:


---

1. ITC पात्रता और आवश्यक शर्तें

धारा 16: ITC पात्रता और आवश्यक शर्तों का प्रावधान करती है, जिसमें केवल वे ही इनपुट क्रेडिट क्लेम किए जा सकते हैं जो व्यवसाय के लिए उपयोग में आए हैं।

धारा 16(2)(c): यह स्पष्ट करती है कि ITC क्लेम तभी मान्य है जब सप्लायर द्वारा सरकार को टैक्स का भुगतान किया गया हो। अगर सप्लायर ने टैक्स नहीं जमा किया है, तो ITC क्लेम अवैध हो सकता है।

धारा 16(4): ITC क्लेम की समयसीमा के अनुसार, वित्तीय वर्ष समाप्ति के बाद अक्टूबर माह की GSTR-3B दाखिल करने की अंतिम तिथि या वार्षिक रिटर्न की अंतिम तिथि (जो भी पहले हो) तक ही ITC क्लेम कर सकते हैं।



---

2. इनवॉइस मैचिंग और ITC मिलान प्रक्रिया

धारा 37 और 38: यह धाराएं GSTR-1 और GSTR-2B के माध्यम से इनवॉइस के विवरण दाखिल करने के प्रावधान करती हैं। इसमें दोनों पक्षों (सप्लायर और खरीदार) द्वारा इनवॉइस डेटा का मिलान सुनिश्चित किया जाता है।

रूल 36(4): इस नियम के अनुसार, केवल उन्हीं इनपुट टैक्स क्रेडिट का क्लेम किया जा सकता है जो GSTR-2B में उपलब्ध हों; मैन्युअल प्रविष्टियों पर प्रतिबंध है।

धारा 42: इसमें इनपुट टैक्स क्रेडिट का मिलान और संशोधन प्रक्रिया का उल्लेख है, जिससे किसी भी गलत ITC को सही किया जा सकता है।



---

3. सप्लायर कंप्लायंस की समीक्षा और ITC पर प्रभाव

धारा 16(2)(c): यह उपधारा ITC को सप्लायर द्वारा किए गए टैक्स भुगतान से जोड़ती है। अगर सप्लायर टैक्स जमा नहीं करता है, तो ITC अमान्य हो सकता है।

धारा 122(1A): इसके तहत, अगर सप्लायर टैक्स जमा नहीं करता है और ITC का लाभ लिया गया है, तो क्लेम करने वाले पर पेनल्टी लगाई जा सकती है। इसलिए सप्लायर की GSTR फाइलिंग स्थिति की नियमित समीक्षा आवश्यक है।



---

4. ब्लॉक्ड क्रेडिट्स (अवरुद्ध क्रेडिट्स)

धारा 17(5): इसमें उन क्रेडिट्स की सूची दी गई है जिन पर ITC का लाभ नहीं लिया जा सकता, जैसे कि मोटर वाहन, मनोरंजन सेवाएं, भोजन, यात्रा, व्यक्तिगत उपयोग के सामान, आदि।

इन वस्तुओं और सेवाओं पर ITC नहीं लिया जा सकता है, जिससे सुनिश्चित किया जा सके कि केवल वैध और अनुमत इनपुट टैक्स क्रेडिट ही क्लेम किए जा रहे हैं।



---

5. प्रोविजनल ITC और कैरी-फॉरवर्ड क्रेडिट्स

धारा 41: इस धारा के अनुसार, प्रोविजनल ITC का क्लेम अस्थायी होता है और सप्लायर द्वारा टैक्स जमा न करने की स्थिति में उसे वापस भुगतान करना होता है।

धारा 16: पुराने या कैरी-फॉरवर्ड किए गए क्रेडिट्स का उपयोग तभी किया जा सकता है जब वे वैध हों और संबंधित टैक्स का भुगतान किया गया हो।



---

6. रिकॉर्ड कीपिंग और दस्तावेजीकरण

धारा 35: यह धारा GST रिकॉर्ड रखने और सभी ITC क्लेम्स का दस्तावेजीकरण करने के प्रावधानों को बताती है, ताकि भविष्य में ऑडिट के समय सभी क्लेम सही ठहराए जा सकें।

धारा 36: इसके अनुसार, सभी GST संबंधित दस्तावेजों को 72 महीने तक सुरक्षित रखना आवश्यक है।

धारा 49: ITC को भुगतान के रूप में कैसे उपयोग किया जाए, इस पर प्रावधान देती है। इस धारा का पालन करते हुए, सभी दस्तावेज और क्लेम वैध और ट्रेसबल बनाए जा सकते हैं।



---

इन प्रावधानों का अनुपालन सुनिश्चित करके ITC क्लेम को मजबूत, वैध और नियमों के अनुसार पूरा किया जा सकता है।

रूल 86B अनुपालन पर पंजीकरण बहाल; समान मामले में दोहरी SCN पर रोक

यहां दो हालिया जीएसटी फैसलों का सारांश दिया गया है जो रूल 86B के अंतर्गत जीएसटी पंजीकरण के निलंबन और केंद्रीय व राज्य जीएसटी अधिकारियों द्वारा समान मामले में समानांतर कार्यवाही पर केंद्रित हैं:

1. रूल 86B के अनुपालन पर जीएसटी पंजीकरण की बहाली
उज्ज्वल गर्ग बनाम आयुक्त, व्यापार और कर विभाग मामले में दिल्ली उच्च न्यायालय ने निर्णय दिया कि रूल 86B के उल्लंघन के कारण जीएसटी पंजीकरण का निलंबन आवश्यक राशि जमा करने के बाद समाप्त कर दिया जाना चाहिए। मामले में, याचिकाकर्ता का पंजीकरण निलंबित कर दिया गया था क्योंकि उसने अपने कर देयता का 99% से अधिक हिस्सा इलेक्ट्रॉनिक क्रेडिट लेजर का उपयोग कर चुका था, जो कि रूल 86B के विरुद्ध था। याचिकाकर्ता ने बाद में 80,000 रुपये जमा किए, जिसके बाद न्यायालय ने माना कि जीएसटी पंजीकरण का निलंबन व्यापारी के व्यवसाय पर व्यापक प्रतिकूल प्रभाव डालता है और इसे गहन विचार के बाद ही किया जाना चाहिए। इसलिए, न्यायालय ने तुरंत याचिकाकर्ता का पंजीकरण बहाल करने का आदेश दिया।


2. समान मामले में राज्य जीएसटी प्राधिकरण द्वारा दूसरी SCN जारी करने पर रोक
टोयोटा किर्लोस्कर मोटर (प्रा.) लिमिटेड बनाम भारत संघ मामले में कर्नाटक उच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया कि अगर किसी मामले में केंद्रीय जीएसटी प्राधिकरण ने पहले ही नोटिस (SCN) जारी कर दिया है, तो राज्य जीएसटी प्राधिकरण समान मामले में दोबारा नोटिस जारी नहीं कर सकता है। इस मामले में, केंद्रीय जीएसटी ने पहले आईटीसी से संबंधित नोटिस जारी किए थे, जिसके बाद राज्य जीएसटी ने उसी विषय में फिर से नोटिस जारी किया। न्यायालय ने इसे बिना अधिकार क्षेत्र के घोषित कर राज्य जीएसटी का नोटिस निरस्त कर दिया और मामले को केंद्रीय जीएसटी को पुनर्विचार के लिए भेजा, जिसमें सर्कुलर संख्या 211/5/24-जीएसटी और बॉश लिमिटेड के फैसले का संदर्भ दिया गया।



इन मामलों से यह स्पष्ट होता है कि कर अधिकारियों को नियमों का पालन करना चाहिए और करदाताओं के अधिकारों की सुरक्षा के लिए समान मामले में दोहरी कार्यवाही या अत्यधिक दंडात्मक कार्रवाई से बचना चाहिए।



Wednesday, 6 November 2024

Important Update on Personal Hearings in GST

🚨 जीएसटी में व्यक्तिगत सुनवाई पर विस्तृत जानकारी

📌 सीबीआईसी का नया निर्देश (5 नवंबर 2024)
अब जीएसटी मामलों की सुनवाई मुख्य रूप से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग (VC) के माध्यम से होगी। यह फैसला डिजिटल प्रक्रियाओं को प्रोत्साहित करने और सुनवाई प्रक्रिया को अधिक सुविधाजनक बनाने के उद्देश्य से किया गया है।

📌 शारीरिक (फिजिकल) सुनवाई की प्रक्रिया
यदि किसी पार्टी को फिजिकल सुनवाई की आवश्यकता महसूस होती है, तो वह इसके लिए विशेष अनुरोध कर सकती है। इस अनुरोध को स्वीकार करने के लिए उचित कारण प्रस्तुत करना आवश्यक होगा, और अधिकारी इसे रिकॉर्ड में दर्ज करेंगे। इसका मतलब यह है कि केवल जायज कारण होने पर ही शारीरिक सुनवाई की अनुमति मिलेगी।

📌 पुराने निर्देशों की पुन: स्थापना
इस नए निर्देश में 21 अगस्त 2020 के दिशा-निर्देशों को फिर से लागू किया गया है, जो वर्चुअल सुनवाई की व्यवस्था की ओर अग्रसर थे। 28 जुलाई 2022 में किए गए संशोधन को हटा दिया गया है, जिसमें शारीरिक सुनवाई को अधिक प्राथमिकता दी गई थी।

📌 इस बदलाव के लाभ

1. समय और खर्च की बचत – वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई से समय और यात्रा खर्च में कमी आएगी।


2. सुलभता और लचीलापन – पार्टियां दूर से भी सुनवाई में शामिल हो सकती हैं, जिससे प्रक्रिया में सुविधा बढ़ेगी।


3. डिजिटल साक्ष्य प्रस्तुत करने में आसानी – वर्चुअल सुनवाई में डिजिटल दस्तावेज़ और सबूत प्रस्तुत करना आसान हो जाता है, जिससे प्रक्रिया तेज होती है।



📌 कब शारीरिक सुनवाई उपयुक्त हो सकती है?

जब मामलों में जटिल कानूनी या तकनीकी प्रश्न हों।

जब पक्षकार या उनका प्रतिनिधि वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की सुविधा का उपयोग करने में असमर्थ हों।

विशेष परिस्थितियों में, जब भौतिक साक्ष्यों की जांच आवश्यक हो।


निष्कर्ष
यह नया नियम प्रक्रिया को डिजिटल रूप में आगे बढ़ाने के साथ-साथ इसे तेज और सुविधाजनक बनाने का प्रयास है। साथ ही, जरूरतमंद मामलों के लिए शारीरिक सुनवाई का विकल्प भी खुला रखा गया है, जिससे सुनवाई में न्यायसंगतता और पारदर्शिता बनी रहे।

Wednesday, 30 October 2024

Rule 47A of the CGST Rules – Effective from 1st November 2024🔹Explanation of Relevant Sections of the CGST Act, 2017🔹List of services under the Reverse Charge Mechanism (RCM) in GST as of October 2024

यहाँ Rule 47A और GST से संबंधित अन्य महत्वपूर्ण विषयों का हिंदी में विवरण दिया गया है:

1. CGST नियम 47A (1 नवंबर 2024 से लागू)

नियम 47A को CGST ढांचे में विशेष अनुपालन या प्रक्रियात्मक आवश्यकताओं को संबोधित करने के लिए प्रस्तुत किया गया है। इसके कार्यान्वयन का उद्देश्य इनवॉइसिंग, रिटर्न फाइलिंग, या अन्य संचालन संबंधी आवश्यकताओं को हाल के GST संशोधनों के साथ संगत बनाना हो सकता है। इसके सटीक प्रावधान आधिकारिक अधिसूचना और नियमों पर निर्भर होंगे।

2. CGST अधिनियम, 2017 के संबंधित प्रावधान

GST अनुपालन और प्रक्रियात्मक पहलुओं से संबंधित प्रमुख धाराएं इस प्रकार हैं:

धारा 9(3): उन सेवाओं या वस्तुओं के लिए उलटा शुल्क प्रणाली (RCM) निर्दिष्ट करता है, जहां प्राप्तकर्ता को कर का भुगतान करना होता है।

धारा 16: इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) प्राप्त करने की शर्तों का उल्लेख करती है।

धारा 31(3)(f): RCM लेनदेन के लिए इनवॉइस जारी करने का प्रावधान करती है, जिसमें यह आवश्यक है कि यदि आपूर्तिकर्ता पंजीकृत नहीं है तो प्राप्तकर्ता स्वयं एक इनवॉइस जारी करे।

धारा 49: GST के तहत कर, ब्याज, जुर्माना और अन्य राशियों के भुगतान को नियंत्रित करता है।

धारा 50: कर भुगतान में देरी होने पर ब्याज देयता को निर्दिष्ट करता है।

धारा 73/74: मांग और वसूली प्रावधानों को कवर करती है, जहां कर अनुत्तरित होता है या ITC गलत तरीके से लिया जाता है।


3. अक्टूबर 2024 तक उलटा शुल्क प्रणाली (RCM) के तहत सेवाओं की सूची

RCM के तहत जिन सेवाओं पर प्राप्तकर्ता को कर अनुपालन की ज़िम्मेदारी होती है, उनमें प्रमुख सेवाएं निम्नलिखित हैं:

वकील द्वारा सेवाएं (व्यवसायिक इकाइयों को प्रदान की जाने वाली कानूनी सेवाएं)।

मोटर वाहन किराए पर देने की सेवाएं (यदि सेवा प्रदाता GST में पंजीकृत नहीं है)।

गुड्स ट्रांसपोर्ट एजेंसी (GTA) द्वारा सेवाएं (सड़क मार्ग से सामान का परिवहन)।

स्पॉन्सरशिप सेवाएं (जहाँ प्रायोजक को GST का भुगतान करना होता है)।

निदेशक द्वारा सेवाएं (कुछ मामलों में निदेशकों को दिए गए पारिश्रमिक)।

बीमा एजेंट द्वारा सेवाएं (बीमा व्यवसाय को दी जाने वाली)।

सुरक्षा सेवाओं की आपूर्ति (यदि प्रदाता पंजीकृत नहीं है)।

कैज़ुअल टैक्सेबल पर्सन सेवाएं जैसे प्रदर्शनियाँ, आयोजन, आदि।


यह मुख्य सेवाओं की सूची है; CBIC से अद्यतन जानकारी के लिए नियमित रूप से जांच करना महत्वपूर्ण है क्योंकि RCM का दायरा बढ़ सकता है।

4. RCM के तहत स्व-इनवॉइस का नमूना प्रारूप

RCM के तहत, यदि आपूर्तिकर्ता पंजीकृत नहीं है तो प्राप्तकर्ता को स्व-इनवॉइस जारी करना होता है। इसका एक सरल प्रारूप निम्नलिखित है:


---

उलटा शुल्क प्रणाली (RCM) के तहत स्व-इनवॉइस

वस्त्र/सेवाओं का विवरण

नोट्स:

RCM के तहत देय कुल कर का उल्लेख करें।

स्व-इनवॉइस केवल आंतरिक अनुपालन के लिए होता है (आपूर्तिकर्ता के साथ साझा नहीं किया जाता)।

यह CGST अधिनियम की धारा 31(3)(f) के अनुसार जारी किया जाता है।


Friday, 25 October 2024

GST Update GSTR 9 & 9C for FY 2023-24 is now available for filing

वित्तीय वर्ष (FY) 2023-24 के लिए GSTR-9 और GSTR-9C की फाइलिंग अब उपलब्ध है, और टर्नओवर के आधार पर इसे भरना अनिवार्य है।

1. GSTR-9 – वार्षिक रिटर्न

किसके लिए अनिवार्य: जिन करदाताओं का वार्षिक टर्नओवर ₹2 करोड़ से अधिक है।

उद्देश्य: यह वार्षिक रिटर्न पूरे वर्ष में भरे गए मासिक या त्रैमासिक रिटर्न (GSTR-1 और GSTR-3B) का एक विस्तृत सारांश है। इसमें पूरे वर्ष की बिक्री, खरीद, इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC), और अन्य समायोजनों का ब्यौरा होता है।

महत्व: GSTR-9 भरने से करदाता वित्तीय वर्ष में किसी भी त्रुटि या समायोजन की पहचान कर सकते हैं और उन्हें सुधारने का अवसर मिलता है। यह वित्तीय समापन के लिए एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है, जिससे खातों की सटीकता सुनिश्चित होती है।


2. GSTR-9C – पुनःमिलान विवरण और ऑडिट

किसके लिए अनिवार्य: जिन करदाताओं का वार्षिक टर्नओवर ₹5 करोड़ से अधिक है। यह सीमा उन व्यवसायों के लिए लागू होती है जिन्हें GST ऑडिट के लिए निर्धारित किया गया है।

उद्देश्य: GSTR-9C एक पुनःमिलान विवरण है, जो यह सुनिश्चित करता है कि GSTR-9 में रिपोर्ट किए गए आंकड़े वित्तीय रिकॉर्ड और खातों की पुस्तकों से मेल खाते हैं। यह प्रक्रिया आंकड़ों की सटीकता के लिए एक अतिरिक्त स्तर की जांच प्रदान करती है।

प्रमाणीकरण: GSTR-9C को  प्रमाणित किया जाना चाहिए। इसका उद्देश्य रिटर्न और वित्तीय रिकॉर्ड के बीच किसी भी अंतर को स्पष्ट करना और इसे ठीक से पुनःमिलान करना है।


GSTR-9 और GSTR-9C की सही और समय पर फाइलिंग न केवल GST कानूनों के अनुपालन को सुनिश्चित करती है, बल्कि दंड से बचाव में भी सहायक होती है। इससे सरकार को करदाताओं की वार्षिक गतिविधियों का सटीक और समग्र विवरण मिलता है, जो प्रणाली की पारदर्शिता और विश्वसनीयता को बढ़ाता है।



Time limit for issuing different income-tax notices and completion of the assessment

यहाँ विभिन्न प्रकार की आयकर नोटिसों के जारी करने और आकलन पूरा करने के समय-सीमा का संक्षिप्त विवरण दिया गया है:

1. धारा 143(2) के तहत नोटिस – स्क्रूटनी आकलन

नोटिस जारी करने की समय सीमा: जिस वित्तीय वर्ष में रिटर्न दाखिल किया गया है, उसके अंत से 3 महीने के भीतर नोटिस जारी किया जाना चाहिए।

आकलन पूरा करने की समय सीमा: धारा 143(3) के तहत आकलन संबंधित आकलन वर्ष के अंत से 9 महीने के भीतर पूरा किया जाना चाहिए।


2. धारा 148 के तहत नोटिस – पुनःआकलन या आय छूट जाने का आकलन

नोटिस जारी करने की समय सीमा:

यदि छूटी हुई आय ₹50 लाख या उससे कम है: संबंधित आकलन वर्ष के अंत से 3 वर्षों के भीतर नोटिस जारी किया जा सकता है।

यदि छूटी हुई आय ₹50 लाख से अधिक है: संबंधित आकलन वर्ष के अंत से 10 वर्षों के भीतर नोटिस जारी किया जा सकता है।


आकलन पूरा करने की समय सीमा: नोटिस जारी किए गए वित्तीय वर्ष के अंत से 12 महीने के भीतर पुनःआकलन पूरा होना चाहिए।


3. धारा 144 के तहत नोटिस – बेस्ट जजमेंट आकलन

नोटिस जारी करने की समय सीमा: इस धारा के तहत विशेष रूप से नोटिस जारी करने की कोई समय सीमा नहीं है, क्योंकि यह तब लागू होती है जब करदाता रिटर्न दाखिल करने में विफल रहता है या पूछताछ का जवाब नहीं देता।

आकलन पूरा करने की समय सीमा: संबंधित आकलन वर्ष के अंत से 9 महीने के भीतर पूरा होना चाहिए।


4. धारा 148A(d) के तहत नोटिस – धारा 148 के तहत नोटिस जारी करने से पहले जांच करना

नोटिस जारी करने की समय सीमा: यदि असेसिंग अधिकारी को नोटिस जारी करने से पहले जांच करना आवश्यक लगता है, तो वे करदाता को धारा 148A(b) के तहत मौका देते हैं, जो सामान्यतः 1 महीने के भीतर समाप्त हो जाता है।

आकलन पूरा करने की समय सीमा: इसे धारा 148 के तहत नोटिस जारी करने की निर्धारित समय सीमा के भीतर पूरा किया जाना अपेक्षित होता है।


5. धारा 153 – आकलन पूरा करने की समय सीमा

धारा 143 के तहत नियमित आकलन या धारा 144 के तहत बेस्ट जजमेंट आकलन: संबंधित आकलन वर्ष के अंत से 9 महीने के भीतर।

धारा 147 के तहत पुनःआकलन: धारा 148 के तहत नोटिस जारी किए गए वित्तीय वर्ष के अंत से 12 महीने के भीतर।

खोज/जब्ती के मामलों में धारा 153A के तहत आकलन: जिसमें खोज का अंतिम प्राधिकरण निष्पादित किया गया हो, उसके वित्तीय वर्ष के अंत से 24 महीने के भीतर।


ये समय-सीमाएं यह सुनिश्चित करती हैं कि आकलन समय पर पूरा हो, और करदाता को उनके आकलन की स्थिति के बारे में स्पष्टता मिल सके। यदि आयकर विभाग इन समय-सीमाओं को पूरा नहीं करता है, तो कार्यवाही अमान्य हो सकती है।



Here’s an overview of the time limits for issuing various income tax notices and completing the assessments in India:

1. Notice under Section 143(2) – Scrutiny Assessment

Time Limit to Issue Notice: Must be issued within 3 months from the end of the financial year in which the return was furnished.

Time Limit for Completion: Assessment under Section 143(3) should be completed within 9 months from the end of the assessment year.


2. Notice under Section 148 – Reassessment or Income Escaping Assessment

Time Limit to Issue Notice:

If the escaped income is less than or equal to ₹50 lakh: Notice can be issued within 3 years from the end of the relevant assessment year.

If the escaped income is more than ₹50 lakh: Notice can be issued within 10 years from the end of the relevant assessment year.


Time Limit for Completion: The reassessment should be completed within 12 months from the end of the financial year in which the notice was served.


3. Notice under Section 144 – Best Judgment Assessment

Time Limit to Issue Notice: This section does not have a specific time limit for issuing the notice, as it applies when the taxpayer fails to file a return or respond to inquiries.

Time Limit for Completion: Should be completed within 9 months from the end of the assessment year.


4. Notice under Section 148A(d) – Conducting Inquiry before Issue of Notice under Section 148

Time Limit to Issue Notice: If the assessing officer believes an inquiry is necessary before issuing a notice under Section 148, they must provide an opportunity to the taxpayer under Section 148A(b), which typically concludes within 1 month.

Time Limit for Completion: Completion is typically expected within the time prescribed for issuing notice under Section 148.


5. Section 153 – Time Limit for Completion of Assessment

Regular Assessment under Section 143 or Best Judgment Assessment under Section 144: 9 months from the end of the assessment year.

Reassessment under Section 147: Within 12 months from the end of the financial year in which the notice under Section 148 was issued.

Assessment in Search/Seizure Cases under Section 153A: Within 24 months from the end of the financial year in which the last of the authorization for search was executed.


These time limits ensure timely assessments and allow the taxpayer to have clarity on their assessment status. If the Income Tax Department misses these timelines, the proceedings may be invalid.


Wednesday, 9 October 2024

*सूचना संख्या 06/2024-सीटी (रेट) का विस्तृत विश्लेषण:* यह सूचना अनरजिस्टर्ड व्यक्तियों द्वारा रजिस्टर्ड व्यक्तियों को धातु स्क्रैप की आपूर्ति को रिवर्स चार्ज मेकेनिज्म (RCM) के तहत लाती है। यह संशोधन पहले की सूचना संख्या 4/2017-सींट्रल टैक्स (रेट) में किया गया है, जो 28 जून 2017 को जारी हुई थी।

 **सूचना संख्या 06/2024-सीटी (रेट) का विस्तृत विश्लेषण:**


यह सूचना अनरजिस्टर्ड व्यक्तियों द्वारा रजिस्टर्ड व्यक्तियों को धातु स्क्रैप की आपूर्ति को रिवर्स चार्ज मेकेनिज्म (RCM) के तहत लाती है। यह संशोधन पहले की सूचना संख्या 4/2017-सींट्रल टैक्स (रेट) में किया गया है, जो 28 जून 2017 को जारी हुई थी।


 मुख्य बिंदु:


1. **नवीनतम संशोधन:**

   - सूचना में एक नया एंट्री नंबर 8 जोड़ा गया है, जो मौजूदा तालिका में क्रमांक 7 के बाद आएगा।


2. **लागू होने वाले अध्याय:**

   - यह संशोधन धातु स्क्रैप के विभिन्न अध्यायों को शामिल करता है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि सभी प्रकार के धातु स्क्रैप पर रिवर्स चार्ज का नियम लागू होगा।


3. **रिवर्स चार्ज मेकेनिज्म (RCM):**

   - जब कोई अनरजिस्टर्ड व्यक्ति रजिस्टर्ड व्यक्ति को धातु स्क्रैप बेचता है, तो जीएसटी का भुगतान रजिस्टर्ड व्यक्ति को करना होगा।

   - यह प्रक्रिया टैक्स संग्रह में पारदर्शिता बढ़ाती है और अनरजिस्टर्ड विक्रेताओं से होने वाली आपूर्ति पर नियंत्रण रखती है।


4. **उद्देश्य और लाभ:**

   - इस संशोधन का मुख्य उद्देश्य धातु स्क्रैप के व्यापार को अधिक सुव्यवस्थित और पारदर्शी बनाना है।

   - यह सुनिश्चित करेगा कि जीएसटी का सही तरीके से पालन हो, और व्यापार में कानून की अनुपालन की संस्कृति को बढ़ावा मिलेगा।


5. **व्यापारी और टैक्सपेयर्स के लिए महत्वपूर्ण:**

   - यह सूचना व्यापारियों के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह उन्हें यह स्पष्ट करती है कि धातु स्क्रैप की आपूर्ति के मामले में उनके दायित्व क्या होंगे।


इस प्रकार, यह बदलाव जीएसटी के तहत धातु स्क्रैप के व्यापार को बेहतर बनाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।

New notifications issued to give effect to 54th GSTC recommendations

 New notifications issued to give effect to 54th GSTC recommendations


The CBIC has  issused three (03) notifications i.e.,  Notification No.21, 22 & 23 all dt 08.10.24 and one (01) Rate Notification No:06/2024 (CTR) to give effect to the interest waiver scheme under Sec. 128A, special procedure for rectification of order under 73 , 74 or 107 or 108, waiver of late fees to person liable to deduct TDS under 51 from the month of June 2021 onwards along with RCM liabilities for certain metal scrap supplies.


The key points of the notifications are:


1.Notification No. 21/2024-C.T:


This notification notifies dates up to which tax should be paid for waiver of interest/penalties under section 128A of CGST Act 2017. Accordingly, for most registered persons, the last date is 31.03.2025.

 

For some specific cases, it's 6 months from the date of redetermination order.


2.Notification No. 22/2024-CT:


This notifies a special procedure for rectification of certain specified orders issued under sections 73, 74, 107 or 108 of CGST Act.


This relaxation proceedings applies to all cases where input tax credit ITC was disallowed under Sec. 16(4)  earlier but is now eligible under amended provisions of Section 16(5).


The Registered persons can apply for rectification within 6 months of this notification.


The Proper officer will take a decision on application within 3 months.


3.Notification No. 23/2024-CT:


This Notification Waives  late fee for FORM GSTR-7 (TDS return) from June 2021 onwards.


It also Caps late fee at Rs. 25 per day, subject to maximum of Rs. 1000.


It fully waives late fee for nil TDS months.


All these notifications will come into effect from November 1, 2024.


4.Notification No. 06/2024-CT ( Rate):


This notification brings in the supply of metal scrap by an unregistered person to a registered person under RCM.  It amends the earlier notification No. 4/2017-Central Tax (Rate) from June 28, 2017 by adding a new entry No.8 to the table in the original notification, after S. No. 7. This brings the metal scraps of the following chapters under its ambit.


Chapter 72, 73, 74, 75, 76, 77, 78, 79, 80 or 81


The notification will come into effect on October 10, 2024

नोटिफिकेशन नंबर 09/2024 - केंद्रीय कर (दर) के अनुसार, वाणिज्यिक संपत्ति के किराए पर रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म (RCM) का प्रभाव



नोटिफिकेशन नंबर 09/2024 - केंद्रीय कर (दर) के अनुसार, वाणिज्यिक संपत्ति के किराए पर रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म (RCM) का प्रभाव इस प्रकार है:


यदि किरायेदार और मालिक दोनों जीएसटी के तहत पंजीकृत नहीं हैं:

जीएसटी लागू नहीं होता (न तो RCM और न ही FCM)।

यदि किरायेदार पंजीकृत नहीं है और मालिक जीएसटी के तहत पंजीकृत है:

जीएसटी FCM (फॉरवर्ड चार्ज मैकेनिज्म) के आधार पर लागू होता है।

यदि किरायेदार और मालिक दोनों जीएसटी के तहत पंजीकृत हैं:

जीएसटी FCM के आधार पर लागू होता है।

यदि किरायेदार पंजीकृत है और मालिक जीएसटी के तहत पंजीकृत नहीं है:

जीएसटी RCM के आधार पर लागू होता है।

यदि किरायेदार जीएसटी के तहत कंपोजिशन करदाता है:

RCM की देयता उसके लिए एक अतिरिक्त खर्च बन जाएगी क्योंकि वह इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) के लिए पात्र नहीं है। @cbic_india कृपया ऐसे करदाताओं को छूट दें।

यदि किरायेदार जीएसटी के तहत नियमित करदाता है:

वह RCM की देयता को ITC के रूप में दावा करने के लिए पात्र है। @cbic_india अधिकांश मालिक जीएसटी के तहत पंजीकृत नहीं थे, इस नोटिफिकेशन के कारण सभी को अपनी RCM देयता नकद के माध्यम से चुकानी होगी क्योंकि RCM की देयता अनिवार्य रूप से नकद के माध्यम से ही चुकानी होती है।

यह नियम 10 अक्टूबर 2024 से लागू होगा।


वाणिज्यिक किराए पर RCM का सबसे बड़ा प्रभाव पड़ेगा। संक्षेप में, पंजीकृत करदाताओं के लिए, वाणिज्यिक संपत्ति पर किराया हमेशा कर योग्य होता है, चाहे वह RCM या FCM के तहत हो।

Monday, 12 August 2024

All About GSTR1A

A Small Note on GSTR 1A, do share with people who are filing GST Returns. Important Update in GST Returns one must know.



Monday, 8 July 2024

ITR Late fees for AY 24-25- Curious Case!!

ITR Late fees for AY 24-25- Curious Case!!

Total Income - 6.50 Lacs (All normal Income)
Tax Payable - NIL , Late Fee - Rs. 5000

Higher late fee of Rs. 5000 shall be applicable even in cases when Tax Payable is NIL as default New regime provides for Nil Tax till 7 Lacs (normal Income), But Total Income Limit u/s 234F is still 5 lacs i.e.
<= 5 Lacs-Rs 1000
> 5 Lacs -Rs. 5000

📌Till last Ass year Higher Late fee was applicable only in cases when Tax was payable by Assessee.

Tuesday, 2 July 2024

GST CIRCULARS From 2017 से 2024 तक

GST CIRCULARS From 2017 से 2024 तक





CA Pritam Mahure and Associates

Saturday, 22 June 2024

Key Recommendations made by 53rd GST council meeting held today -

Key Recommendations made by 53rd GST council meeting held today -

1. Waver of interest and penalty on demand notices issued under section 73 for Fy 17-18, 18-19, 19-20. Applicable in cases where tax is paid entirely by March 2025.
2. ⁠time limit to avail ITC u/s16(4) filed till 30th Nov instead of Oct For FY 1718 1819 1920 2021

3. ⁠Monetary limit for filing appeal by tax dept. of 20 lakh for tribunal; 1cr for HC and 2 cr for SC.
4. ⁠max amount of pre deposit for filing appeal before appellate authority reduced from 25 cr to 20 cr each for cgst and sgst.
5. ⁠per deposit for filing appeal before tribunal reduced to 20% and 20 cr each for cgst and sgst.
6. ⁠Amendment in law for providing that time limit for filing appeal before tribunal will start from the date government notifies.
7. ⁠extension of time limit to file GSTR 4 till 30 June.
8. ⁠Interest won’t be charged for amount available in cash ledger at time of filing 3B.
9. ⁠insertion of new Form GSTR 1A to allow correction in GSTR 1. It will be allowed to file it before filing 3B.
10. ⁠Bio metric based Aadhar authentication on PAN India basis in a phased manner.
11. ⁠clarification issued on various topics. Few of them are - 12% tax rate for milk can; uniform GST rate of 12% on all carton boxes; clarification on all types of sprinklers will attract 12% and past practice to be as is; 12% rate on all solar cases; services by railways, platform ticket, other services are exempt; service of hostal accommodation outside of educational institutions made exempt with conditions.

Friday, 7 June 2024

वकीलों द्वारा प्रदान की गई सेवाएं व्यक्तिगत सेवा के अनुबंध के अंतर्गत आती हैं: सुप्रीम कोर्ट

****************************************
*Legal update*
****************************************
*वकीलों द्वारा प्रदान की गई सेवाएं व्यक्तिगत सेवा के अनुबंध के अंतर्गत आती हैं: सुप्रीम कोर्ट*

*********************************

💐सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वकील द्वारा प्रदान की गई सेवाएं "सेवा के अनुबंध" के विपरीत "व्यक्तिगत सेवा के अनुबंध" के अंतर्गत आएंगी। आम शब्दों में, 'व्यक्तिगत सेवा का अनुबंध' ऐसी व्यवस्था से संबंधित है, जहां एक व्यक्ति को उसकी सेवाएं प्रदान करने के लिए काम पर रखा जाता है। हालांकि, "सेवा के लिए अनुबंध" के मामले में सेवाएं स्वतंत्र सेवा प्रदाता से ली जाती हैं। इसलिए जबकि पहले मामले में व्यक्ति एक कर्मचारी है, दूसरे मामले में वह हमेशा तीसरा पक्ष होता है।

*केस टाइटल: बार ऑफ इंडियन लॉयर्स थ्रू इट्स प्रेजिडेंट जसबीर सिंह मलिक बनाम डी.के.गांधी पीएस नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ कम्युनिकेबल डिजीज, डायरी नंबर- 27751 - 2007*

Monday, 3 June 2024

देरी से file appeal पर highcourt का आदेश *Central Goods and Services Tax Act, section107(4) read section 73 के तहत आदेश पर सुनवाई का अधिकार: Calcutta High Court का निर्णय*

*Central Goods and Services Tax Act, section107(4) read section 73 के तहत आदेश पर सुनवाई का अधिकार: Calcutta High Court का निर्णय*

 Central Goods and Services Tax Act, section 107(4) read section73- प्रस्तुत वाद में section 73 के तहत आदेश पारित करके कर के साथ interest and penalty आरोपित किया गया। याचीकर्ता ने पारित आदेश की जानकारी होते ही विलम्ब क्षमा प्रार्थना-पत्र के साथ अपील दाखिल कर दी। प्रथम अपील विलम्बित होने के आधार पर खारिज हुई जिसको challenge देते हुए 

Calcutta High Court के समक्ष writ याचिका दाखिल की गयी। याचीकर्ता का कथन है कि उसे पारित आदेश की जानकारी नहीं थी और C.A. पर भरोसा करने के कारण कर जमा करने में चूक हुई थी, अतः appeal merits and demerits पर सुनी जानी चाहिए। 

Honorable High Court ने याचीकर्ता के कथन को rational मानते हुए अभिमत दिया कि याचीकर्ता पर कर दायित्व आरोपित करने से पूर्व सुनवाई का अवसर दिया जाना आवश्यक है। Honorable Court ने प्रथम Appellate Authority को निर्देशित किया कि गुण-दोष के आधार पर अपील की सुनवाई की जाये। writ याचिका निस्तारित ।

CALCUTTA HIGH COURT in Jayshree Bhardwah vs Dy. Commissioner of Revenue (07-Aug-2023)

Saturday, 25 May 2024

Things to be remembered for Tax Regime from AY 2024-25 onwards

◾ Default Tax Regime is New Tax Regime u/s 115BAC, it means if you want to opt for Old Tax Regime then you have to select it specially in ITR Form

◾If you are filing ITR 1 or ITR 2 then you can select any regime Old or New while filing ITR and No need to file Form 10IEA for opting old tax regime for AY 24-25 and opting out of old tax regime from AY 25-26

◾If you are filing ITR 3 or ITR 4 then you can select old tax regime by Filing Form 10IEA for AY 24-25 and later on if you want to opt out of old tax regime from AY 25-26 onwards then again filing of Form 10IEA is mandatory and after that you can't opt for old tax regime again

◾For opt in or opt out of old tax regime you have to excercise option on or before due date u/s 139(1)

◾In Old Regime Tax Rebate u/s 87A is Rs.12,500/- subject to total income of Rs.5 Lakh and in New Regine Tax Rebates u/s 87A is Rs.25,000/- subject to total income of Rs.7 Lakh

◾If you have a deduction u/s 80C only or No Any Deductions then Never go for the old regime, the new regime is always beneficial & If you have claimed deductions for home loan interest, section 80C and section 80D then Never go for the new regime, the old regime is always beneficial 

◾Comparison of Deductions under Old Regime vs New Regime for FY 2023-24 (Pic 2)

◾Whatever you have opted till AY 23-24 have no impact on regime selection option from AY 24-25 (AY 24-25 is the first year for filing form 10IEA for opting old tax regime for ITR 3 or ITR 4)


Friday, 10 May 2024

व्यापारिक स्थल पर stock न होने की वजह से Registration रद्द किया जा सकता है??? ALLAHABAD HIGH COURT in M/s Shree Ram Glass vs State of U.P. (16-feb-2024)

*"क्या stock के अनुपलब्ध होने से Merchant का Registration निरस्त होना उचित है?"*


UP Goods and Services Tax Act, section 29 (2) एवं 30-प्रस्तुत वाद में Registration इस आधार पर निरस्त हुआ कि Declared place of business पर याचीकर्ता द्वारा कोई Business activity नहीं की जाती है। Revocation इस आधार पर खारिज किया गया कि स्थल Observation पर याचीकर्ता के Trading site कोई Stock नहीं पाया गया था। First Appellate Authority ने Cancellation of Registration Order की confirmed की जिसको challenge देते हुए Lucknow High Court के समक्ष writ याचिका दाखिल की गयी। याचीकर्ता का कथन है 

कि उसने अपने Filing of returns किये हुए हैं जिसे अधिकारियों ने Accepted भी किया है और firm के Bogus होने के सम्बन्ध में कोई सामग्री उपलब्ध नहीं है। Hon'ble High Court ने याचीकर्ता के कथन को उचित मानते हुए पारित Registration Cancellation आदेश समाप्त किया तथा अभिमत दिया कि ऐसा कोई कानून नहीं है जो Merchant को यह आदेश देता हो कि Trading place पर हमेशा Stock उपलब्ध रखा जाये, अतः मात्र Stock उपलब्ध न होने के आधार पर याचीकर्ता का Registration निरस्त नहीं किया जा सकता। writ स्वीकार।

ALLAHABAD HIGH COURT in   M/s Shree Ram Glass vs State of U.P.  (16-feb-2024)

देरी से file Appeal After 4 Month

*" West Bengal goods and service tax act, section 107: सीमितता अधिनियम की section 5 के प्रावधानों के संदर्भ में अपीलीय प्राधिकार द्वारा Determined किया गया समय Limit का Violation करने से संबंधित याचिका"*

West Bengal goods and services tax act, section 107 सपठित Limitation Act की section 5-प्रस्तुत वाद में अपीलीय authority ने section 107(4) के provisions के आधार पर Determined समयावधि के पश्चात् दाखिल अपील में विलम्ब क्षमा करने से इनकार कर दिया जिसको challenge देते हुए

 Calcutta High Court के समक्ष write याचिका दाखिल की गयी। याचीकर्ता का कथन है कि Limitation Act की section 5 लागू है जिसके तहत अपीलीय प्राधिकारी को Treatment सम्बन्धी बीमारी पर प्रस्तुत विलम्ब क्षमा प्रार्थना-पत्र स्वीकार करना चाहिए था। Honorable High Court ने याचीकर्ता के कथन को उचित मानते हुए विलम्ब क्षमा करके अपील इस निर्देश के साथ बहाल की कि गुण-दोष पर decided की जाये तथा अभिमत दिया कि याचीकर्ता के पास समय से अपील दाखिल न कर पाने का Sufficient कारण है। Honorable Court यह मत स्थिर किया कि Since section 107 में स्पष्ट रूप से यह नहीं कहा है कि Limitation Act की section 5 लागू नहीं होगी, अतः Appellate Authority को विलम्ब क्षमा करने का अधिकार है। writ याचिका स्वीकार।

 CALCUTTA HIGH COURT in Arvind Gupta vs Assistant Commissioner of Revenue (04-Jan-2024)
*देरी से file Appeal After 4 Month*

Monday, 18 March 2024

Rectification Applications under GST Laws: Analyzing Mistakes and Judgments

Rectification Applications under GST Laws: Analyzing Mistakes and Judgments


We all are in the process of filing Rectification Applications U/s 161 of GST Laws for "Mistake Apparent from Records."

What are the mistakes that are apparent from the records?

Let's analyze various judgments

Right of this research with: Abhishek Raja Ram

1. Delhi High Court
1.1 Food Specialities Limited (1984)
If two opinions about a question are open, then it is also not a mistake. It is only if the matter is so obvious that there can be only one answer and not much reasoning is required that one can say : It is an apparent mistake.
2. Calcutta High Court
2.1 M/s Russel Properties (P.) Ltd. (1985)
ARR: Capital gains computed on basis of one view: Failure to adopt a different view - Not a mistake apparent from the record that can be rectified.
3. Kerala High Court
3.1 M/s Ram Bahadur Thakur Ltd., Cochin
Entering into reasonableness of the expenditure claimed by the assessee in connection with the transfer - Cannot be said to be a mistake apparent from record.
3.2 Equity Intelligence India Pvt. Ltd., Cochin (2021)
Assessee claiming that Assessing Officer refused to consider Circular while issuing assessment order is not a mistake apparent on face of record to be rectified in proceedings u/S. 154. ARR
4. Andhra Pradesh High Court
4.1 P. R. N. S. and Co., Anantapur (1976)
Mistake apparent on the record must be an obvious and patent mistake, and not something that can be established by a long drawn process of reasoning on points on which there may be conceivably two opinions.
A decision on a debatable point of law is not a mistake apparent from the record.
5. Rajasthan High Court
5.1 B.L. Murarka (2001)
Only apparent mistake can be rectified - Decision on debatable point of law - Is not a mistake apparent from record.
6. Supreme Court
6.1 Saurashtra Kutch Stock Exchange Ltd (2008)
Non-consideration of the decision of the jurisdictional High Court/Supreme Court by the Tribunal - (ARR) Can be said to be mistake apparent from record.
7. Orissa High Court
7.1 Commissioner of Income-tax, Orissa v. Income-tax Appellate Tribunal, Cuttack Bench (1991)
Mistakes highlighted by assessee in order of Tribunal relating to certain erroneous conclusions -
Conclusions even if inappropriate do not constitute 'mistakes apparent from record' - Tribunal recalling its order - Not justified.

I hope you will find this useful.

Warm Regards

Abhishek Raja Ram

Saturday, 24 February 2024

How to handle GST Show Cause Notice & Draft Reply

 How to handle GST Show Cause Notice & Draft Reply



MSME 43B(h) AN INTERVIEW WITH SUDHIR HALAKHANDI BY SKH TAX TEAM

SKH TAX TEAM WITH SUDHIR HALAKHANDI

MSME 43B(H) पर SKH टैक्स टीम द्वारा सुधीर हलाखंडी के साथ एक साक्षात्कार

 MSME 43B(h) AN INTERVIEW WITH SUDHIR HALAKHANDI BY SKH TAX TEAM

-CA Sudhir Halakhandi





Respected CA Sudhir Halakhandi sir previous articles related to this issue

Click here to read this interview of Sudhir Halakhandi in Hindi.


GSTR-2A can now be downloaded in excel/CSV format for your reference and further use.

*GST PORTAL UPDATE:* 
GSTR-2A can now be downloaded in excel/CSV format for your reference and further use.

GSTN also announced that Nil return for GSTR-1, GSTR-3B and CMP-08 can now be filed through SMS.

Facility for opting Composition Scheme for FY 2024-25 now live on GST Portal

*GST PORTAL UPDATE:* 
Facility for opting Composition Scheme for FY 2024-25 now live on GST Portal

The Goods and service Tax Portal has announced that Taxpayers can opt for Composition Scheme for the Financial Year 2024-25 by accessing the GST Portal, which will be open upto March 31, 2024. *Use Navigation ‘Services -> Registration -> Application to Opt for Composition Levy’, and file Form CMP-02 to opt for the same.*

Friday, 23 February 2024

DUE DATE FOR FILING REFUND CLAIM

DUE DATE FOR FILING REFUND CLAIM AS PER NOTIFICATION NO :14/2022 CT DATED 05/07/2022

Thursday, 22 February 2024

Format of Declaration to be taken from Individual Truck/Tractor/Tempo Owners that they are not GTA(non issuance of consignment note) hence Services provided are covered under Exemption

Format of Declaration to be taken from Individual Truck/Tractor/Tempo Owners that they are not GTA(non issuance of consignment note) hence Services provided are covered under Exemption 
✔️Very useful at the time of audits/assessments!!



Regard
CA Abhash Halakhandi

Advisory: Enhanced E-Invoicing Initiatives & Launch of Enhanced https://einvoice.gst.gov.in portal

GSTN has launch the revamped e-invoice master information portal This enhancement is part of ongoing effort to further improve taxpayer services.

https://www.gst.gov.in/newsandupdates/read/624

Monday, 19 February 2024

आम करदाता एवं व्यापारी के लिए – सरल हिंदी में MSME 43B(h) से जुड़े 10 अहम सवाल-जवाब CA सुधीर हालाखंडी

 For common taxpayer and businessman – in simple Hindi

10 important questions and answers related to MSME 43B(h)

CA Sudhir Halakhandi


आम करदाता एवं व्यापारी के लिए – सरल हिंदी  में

MSME 43B(h) से जुड़े 10 अहम सवाल-जवाब

CA सुधीर हालाखंडी 







Respected CA Sudhir Halakhandi sir previous articles related to this issue

GST JUDGMENTS INDEX

 GST JUDGMENTS INDEX



Sunday, 18 February 2024

*The Art and Science of Drafting Appeal in GST a write up ✍️ by Abhishek Raja Ram*

*The Art and Science of Drafting Appeal in GST a write up ✍️ by Abhishek Raja Ram*

Schools taught us English Language through Essay writing. Grammar is crucial in writing, but the style of sharing thoughts is individual choice.

*No style is better or worse; it is just unique to you.*

I would *appeal you all to join me on LinkedIn* at:
https://www.linkedin.com/in/abhishekrajaram/

With this in mind, let's start drafting:

*1. Introduction:*
An appeal under Section 107 is allowed to any person aggrieved by the order, decision, or judgment.

Therefore, the introduction of the appeal should provide details about such order and also explain that why the person is aggrieved with such order.

*2. Right to Appeal:*
There is no inherent right to appeal. But the right to appeal flows from the provisions of the law. 

Unless the law provides the right to appeal, the appeal cannot be filed.
Understanding S.107 and the relevant Rule is a must.


*3. Adherence to Timelines:*
File First *Appeal U/s 107 within 3 months + 1 month condonation.* Always follow the timelines.

First Appellate Authority can't condone delay as Limitations Act benefits don't apply in GST Laws.
_Appealing late doesn't benefit litigants._
.


*4. Where to File Appeal and the Form?*
Before appealing, determine where to file and which form to use by studying the order you're appealing against.
Form GST APL-01 is the prescribed form for first appeal.


*5. Pre-Deposit:*
10% disputed tax before appeal. Full accepted tax deposit required. No deposit for interest and penalty except U/s 129 (25%).


*6. Drafting Statement of Facts and Grounds of Appeal:*
The grounds should be meticulously crafted, focusing on presenting a clear narrative supported by evidence rather than engaging in argumentative discourse.


*7. Signature on the Appeal:*
Appeal must be signed by authorized person, not Counsel.
For Corporates, enclose Board Resolution authorizing person to file appeal.


*8. Respondent:*
Practically it is your duty to submit copy of appeal to the Respondent in First Appeal. Respondent is usually the Ward Officer (i.e. Proper Officer) who has passed the Original Order against whom you have filed the Appeal.


*9. Application of Stay: Not needed*
In GST Laws, once the appeal is accepted, there is a concept of automatic stay and therefore, there is no need to file a separate application for stay.


*10. Paper Book:*
The Paper Book is most important document. It should be exhaustive to cover the issue in dispute but concise to retain the interest. Proper Index and page numbering is always recommended. A brief description of evidence filed is also recommended.


*11. Drafting: An Art or Science?*
Crafting responses to Show Cause Notices and Appeals is an intricate dance between artistic flair and scientific precision.

The art lies in the ability to weave a compelling narrative that resonates with readers, conveying complex legal arguments in a clear and persuasive manner.

Science involves analyzing laws, regulations, precedents, and facts to craft a strong legal argument. Drafting demands creativity and analytical rigor for compelling advocacy.


I hope you will find this article useful.

Best Regards,

Abhishek Raja Ram

Friday, 16 February 2024

Sunday, 4 February 2024

*MSME PORTAL UPDATE*: New functionality to "Verify Udyam Registration Number" now made operational.

*MSME PORTAL UPDATE*:
 New functionality to "Verify Udyam Registration Number" now made operational.

Now you can verify MSME number of your suppliers to check Section 43B(h) applicability.

The link to access is:

https://udyamregistration.gov.in/Udyam_Verify.aspx

Saturday, 3 February 2024