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Tuesday, 25 March 2025

वित्त विधेयक 2025: धारा 206C(1H) के तहत TCS समाप्त – व्यापारियों के लिए बड़ी राहत!

वित्त विधेयक 2025: धारा 206C(1H) में बदलाव और TCS समाप्ति
1. धारा 206C(1H) क्या कहती है?
यह प्रावधान वस्तुओं की बिक्री पर 0.1% की दर से TCS (Tax Collected at Source) लागू करता है। यानी, जब कोई विक्रेता 50 लाख रुपये से अधिक मूल्य की वस्तुएं बेचता है, तो उसे इस बिक्री पर 0.1% टीसीएस वसूलना पड़ता है।

2. किन लेन-देन पर TCS लागू होता है?
यदि किसी विक्रेता की किसी खरीदार को की गई कुल बिक्री पिछले वित्तीय वर्ष में 50 लाख रुपये से अधिक रही हो, तो उसे अतिरिक्त बिक्री पर 0.1% टीसीएस वसूलना पड़ता है।

यह प्रावधान निर्यात और कुछ विशेष वस्तुओं (धारा 206C(1), 206C(1F), 206C(1G) के अंतर्गत आने वाले सामान) पर लागू नहीं होता।


3. वित्त विधेयक 2025 में क्या बदलाव प्रस्तावित हैं?
TDS (Tax Deducted at Source) पहले से ही धारा 194Q के तहत लागू है, जिसमें खरीदार को 0.1% की दर से कर काटना पड़ता है।

अभी की स्थिति में, यदि खरीदार ने टीडीएस काट लिया हो, तो विक्रेता को टीसीएस नहीं लगाना होता, लेकिन कई बार विक्रेता को यह जानकारी नहीं होती कि टीडीएस काटा गया या नहीं।
परिणाम: कई बार एक ही लेन-देन पर TDS और TCS दोनों लागू हो जाते हैं, जिससे जटिलता और तरलता (liquidity) की समस्या होती है।

नया बदलाव: 1 अप्रैल 2025 से धारा 206C(1H) पूरी तरह समाप्त कर दी जाएगी, यानी अब TCS की आवश्यकता नहीं रहेगी।


4. यह बदलाव करदाताओं के लिए कैसे फायदेमंद होगा?
✅ अनुपालन बोझ कम होगा – अब विक्रेताओं को अलग से टीसीएस वसूलने और रिपोर्ट करने की जरूरत नहीं होगी।
✅ कैश फ्लो सुधरेगा – टीसीएस वसूली और जमा करने की जटिलता खत्म होगी, जिससे नकदी प्रवाह बाधित नहीं होगा।
✅ बिक्री लेन-देन में स्पष्टता बढ़ेगी – खरीदार और विक्रेता दोनों को पता रहेगा कि सिर्फ टीडीएस लागू होगा और अलग से टीसीएस की जरूरत नहीं है।

5. नया नियम कब से लागू होगा?
👉 1 अप्रैल 2025 से विक्रेताओं को धारा 206C(1H) के तहत TCS वसूलने की जरूरत नहीं होगी।
वित्त विधेयक 2025 के अनुसार, 1 अप्रैल 2025 से वस्तुओं की बिक्री पर TCS समाप्त कर दिया जाएगा। इससे अनुपालन सरल होगा, नकदी प्रवाह सुधरेगा और विक्रेता-खरीदार दोनों को राहत मिलेगी।


सेक्शन 128A GST: ब्याज और जुर्माना माफी योजना

सेक्शन 128A GST के तहत ब्याज और जुर्माने की माफी योजना के बारे में



टैक्स भुगतान की अंतिम तारीख: 

अगर कोई करदाता इस योजना का लाभ लेना चाहता है, तो उसे मांग की गई पूरी टैक्स राशि का भुगतान 31 मार्च, 2025 तक करना होगा। यह नोटिफिकेशन नंबर 21/2024-सेंट्रल टैक्स (8 अक्टूबर, 2024) के अनुसार है, जिसमें ब्याज और जुर्माने की माफी के लिए यह तारीख तय की गई है।

फॉर्म GST SPL-02 दाखिल करने की अंतिम तारीख: 

टैक्स भुगतान के बाद, करदाता को फॉर्म GST SPL-02 में आवेदन 30 जून, 2025 तक जमा करना होगा। यह नियम सर्कुलर नंबर 238/32/2024-GST (15 अक्टूबर, 2024) के पैराग्राफ 3.1.5 से लिया गया है, जिसमें कहा गया है कि आवेदन 31 मार्च, 2025 से तीन महीने के भीतर दाखिल करना होगा।

विशेष मामले (सेक्शन 74 से सेक्शन 73 में बदलाव): 

अगर किसी मामले में पहले सेक्शन 74 (धोखाधड़ी या जानबूझकर गलत बयानी वाले मामले) के तहत ऑर्डर पास हुआ था, लेकिन बाद में अपील प्राधिकरण, ट्रिब्यूनल या कोर्ट ने इसे सेक्शन 73 (गैर-धोखाधड़ी मामले) में बदल दिया, तो करदाता को नए ऑर्डर की तारीख से 6 महीने के भीतर टैक्स जमा करना होगा। यह नियम सेक्शन 128A(1) के पहले प्रोविजो और सर्कुलर 238/2024 के पैराग्राफ 3.1.5 में स्पष्ट किया गया है। ऐसे मामलों में, करदाता को सेक्शन 73 के तहत नए ऑर्डर की सूचना मिलने से 6 महीने के भीतर फॉर्म GST SPL-02 दाखिल करना होगा।

यह योजना 1 नवंबर, 2024 से लागू है और वित्तीय वर्ष 2017-18, 2018-19 और 2019-20 के लिए सेक्शन 73 के तहत टैक्स विवादों को कम करने और करदाताओं को राहत देने के लिए शुरू की गई है, जैसा कि GST काउंसिल ने सिफारिश की थी। इन समय सीमाओं और शर्तों का पालन करें ताकि माफी का लाभ उठाया जा सके। अधिक जानकारी के लिए नोटिफिकेशन नंबर 21/2024 और सर्कुलर नंबर 238/2024 देखें।

Saturday, 22 March 2025

Advisory :-GST Waiver Application Issues & Deadlines – Key Information (Issue in filing applications (SPL 01/SPL 02) under waiver scheme)

"GST Waiver Issues & Deadlines"

SPL 01/SPL 02 छूट योजना के तहत आवेदन में समस्याएँ

GSTN ने करदाताओं द्वारा छूट (waiver) आवेदन दाखिल करने में आ रही समस्याओं पर स्पष्टीकरण जारी किया है।
मुख्य समस्याएँ:
1. SPL 02 आवेदन में तकनीकी दिक्कतें:
ऑर्डर नंबर ड्रॉपडाउन में उपलब्ध नहीं।
ऑर्डर विवरण स्वतः नहीं आ रहा।
भुगतान विवरण (Payment Details) स्वतः नहीं भर रहा।
"Payment Towards Demand" से भुगतान करने में कठिनाई।
DRC-03A के माध्यम से भुगतान समायोजित करने की सुविधा उपलब्ध नहीं।
पहले से दायर अपील (APL 01) को वापस लेने का विकल्प नहीं।
2. छूट आवेदन की अंतिम तिथि को लेकर भ्रम:
कई करदाता मान रहे हैं कि अंतिम तिथि 31.03.2025 है, लेकिन सही अंतिम तिथि 30.06.2025 है।
CGST नियम 164(6) के अनुसार, अधिसूचना की तिथि से 3 महीने के भीतर आवेदन करना होगा।
3. भुगतान की समय सीमा:
Notification 21/2024-CT (दिनांक 08.10.2024) के अनुसार, छूट योजना का लाभ उठाने के लिए कर भुगतान 31.03.2025 तक करना अनिवार्य है।
Notification 21‌/2024-CT
भुगतान के लिए GST पोर्टल पर "Payment Towards Demand" विकल्प का उपयोग करें।
4. समस्या आने पर समाधान:
यदि "Payment Towards Demand" से भुगतान नहीं हो रहा, तो Form DRC-03 ("Others" श्रेणी में) से स्वैच्छिक भुगतान (Voluntary Payment) करें।
भुगतान को सही आदेश से जोड़ने के लिए Form DRC-03A दाखिल करें।
5. भुगतान विवरण नहीं दिखने पर क्या करें?
Electronic Liability Ledger में भुगतान की पुष्टि करें।
यदि भुगतान सही तरीके से दिखाई दे रहा है, तो छूट आवेदन दाखिल करें।
GST पोर्टल पर नेविगेशन: Login >> Services >> Ledgers >> Electronic Liability Register

महत्वपूर्ण तिथियाँ:
✅ कर भुगतान की अंतिम तिथि: 31.03.2025
✅ छूट आवेदन की अंतिम तिथि: 30.06.2025

समस्या आने पर तुरंत GSTN पोर्टल पर Grievance Ticket दर्ज करें।
Regard
Adv Sarfaraj Ansari

http://sagzp73.blogspot.com/2025/01/advisory-for-waiver-scheme-under.html

Tuesday, 11 March 2025

"आयकर धारा 43B(h): MSME वित्तीय वर्ष 2024-25 की समाप्ति से पहले भुगतान करें, वरना कर लाभ नहीं मिलेगा। 31 मार्च तक भुगतान न करने पर खर्च अगले वर्ष में ही मान्य होगा।"


*आयकर अधिनियम की धारा 43B(h) – MSME को समय पर भुगतान सुनिश्चित करने का नियम*

सरकार ने वित्त अधिनियम, 2023 के माध्यम से आयकर अधिनियम में धारा 43B(h) जोड़ी, जिसका मुख्य उद्देश्य सूक्ष्म (Micro) और लघु (Small) उद्यमों को समय पर भुगतान सुनिश्चित करना था।
 यह प्रावधान 1 अप्रैल 2023 से प्रभावी हुआ और वित्त वर्ष 2023-24 से लागू हुआ है, वित्तीय वर्ष 2024-25 मे भी ध्यान रखना होगा।

इस प्रावधान के तहत, यदि कोई व्यवसाय MSME से माल या सेवाएं खरीदता है लेकिन 45 दिनों के भीतर भुगतान नहीं करता, तो उस खर्च को आयकर गणना में शामिल नहीं किया जाएगा।

धारा 43B(h) का उद्देश्य

1. MSME को समय पर भुगतान सुनिश्चित करना ताकि उनका नकदी प्रवाह (Cash Flow) प्रभावित न हो।

2. बड़ी कंपनियों और व्यवसायों को MSME से जुड़े भुगतान समय पर करने के लिए बाध्य करना।

3. कर अनुपालन को पारदर्शी बनाना और MSME के आर्थिक सशक्तिकरण को बढ़ावा देना।

MSME की परिभाषा और इसकी सीमा

MSME को सूक्ष्म (Micro), लघु (Small) और मध्यम (Medium) तीन श्रेणियों में बांटा गया है।

सूक्ष्म (Micro) उद्यम: यदि किसी इकाई का निवेश 1 करोड़ रुपये तक है और टर्नओवर 5 करोड़ रुपये तक है।

लघु (Small) उद्यम: यदि किसी इकाई का निवेश 10 करोड़ रुपये तक है और टर्नओवर 50 करोड़ रुपये तक है।

मध्यम (Medium) उद्यम: यदि किसी इकाई का निवेश 50 करोड़ रुपये तक है और टर्नओवर 250 करोड़ रुपये तक है।

ध्यान देने वाली बात यह है कि धारा 43B(h) केवल सूक्ष्म (Micro) और लघु (Small) उद्यमों पर लागू होती है। मध्यम (Medium) उद्यमों पर यह प्रावधान लागू नहीं होता।

समय पर भुगतान न करने पर क्या प्रभाव पड़ेगा?

यदि किसी व्यवसाय ने MSME से माल या सेवाएं खरीदी हैं, लेकिन 45 दिनों के भीतर भुगतान नहीं किया और 31 मार्च तक भी भुगतान नहीं हुआ, तो:

1. वह खर्च आयकर गणना में शामिल नहीं किया जाएगा और उस पर कर कटौती (Tax Deduction) का लाभ नहीं मिलेगा।

2. यदि 31 मार्च के बाद भुगतान किया जाता है, तो वह खर्च अगले वित्तीय वर्ष में कर गणना में जोड़ा जाएगा।

3. इससे कर योग्य आय बढ़ जाएगी और व्यवसाय को अधिक कर चुकाना पड़ेगा।

यदि 31 मार्च से पहले भुगतान हो जाता है, तो उस खर्च को कर कटौती के लिए मान्य माना जाएगा और आयकर में समायोजित किया जा सकेगा।

यह प्रावधान किन पर लागू नहीं होगा?

1. यदि विक्रेता मध्यम (Medium) या बड़े व्यवसायों की श्रेणी में आता है।

2. यदि विक्रेता MSME अधिनियम के तहत पंजीकृत नहीं है।

3. यदि खरीद व्यापारियों (Traders) से की गई है, क्योंकि व्यापारी MSME अधिनियम के तहत नहीं आते।

4. यदि व्यवसायी 44AD (Presumptive Taxation) के तहत कर भरता है।

5. यदि खरीदी गई सेवा मीडिया, कानूनी सेवाओं, या कंसल्टेंसी से जुड़ी है।

क्या करना चाहिए?

1. MSME विक्रेताओं की पहचान और पुष्टि करें

सुनिश्चित करें कि आपके विक्रेता MSME अधिनियम के तहत पंजीकृत हैं।

उनके Udyam Registration Number (URN) की जांच करें, जिससे यह स्पष्ट हो सके कि वे सूक्ष्म (Micro) या लघु (Small) श्रेणी में आते हैं।

2. समय पर भुगतान सुनिश्चित करें

MSME से खरीद के 45 दिनों के भीतर भुगतान करने की आदत डालें।

मार्च महीने में विशेष रूप से सतर्क रहें और 31 मार्च से पहले सभी लंबित भुगतान पूरे करें।

3. कर और लेखा रिकॉर्ड को अपडेट रखें

MSME को किए गए सभी भुगतान का रिकॉर्ड बनाए रखें।

सभी भुगतान प्रमाण (Payment Proof) को संग्रहीत करें, ताकि भविष्य में कोई विवाद न हो।

4. स्वचालित भुगतान प्रणाली अपनाएं

बिलिंग और भुगतान को स्वचालित (Automate) करें ताकि भुगतान में देरी से बचा जा सके।

क्लाउड-आधारित अकाउंटिंग सॉफ़्टवेयर का उपयोग करें ताकि सही समय पर भुगतान सुनिश्चित किया जा सके।

5. कर सलाहकार से परामर्श करें

यह सुनिश्चित करें कि आप धारा 43B(h) के अनुपालन में कोई गलती नहीं कर रहे हैं।

वित्तीय वर्ष समाप्त होने से पहले सभी लंबित भुगतान निपटा लें, ताकि आपको अतिरिक्त कर भार न उठाना पड़े।

व्यावहारिक उदाहरण

उदाहरण 1: समय पर भुगतान किया गया
एक कंपनी ने 1 फरवरी 2024 को एक MSME विक्रेता से 5 लाख रुपये का माल खरीदा और 15 फरवरी 2024 को उसका भुगतान कर दिया।
परिणाम: यह खर्च कर कटौती के लिए मान्य होगा क्योंकि भुगतान 45 दिनों के भीतर किया गया है।

उदाहरण 2: देरी से भुगतान किया गया

एक व्यवसाय ने 1 जनवरी 2024 को एक MSME विक्रेता से 10 लाख रुपये की सेवाएं लीं, लेकिन 30 अप्रैल 2024 को भुगतान किया।
परिणाम: 31 मार्च 2024 तक भुगतान न होने के कारण, यह खर्च FY 2023-24 में कर कटौती के लिए मान्य नहीं होगा और कर योग्य आय बढ़ जाएगी। इस खर्च को अगले वित्तीय वर्ष में कर गणना में जोड़ा जाएगा।

धारा 43B(h) का उद्देश्य MSME को समय पर भुगतान सुनिश्चित करना है, जिससे उनका वित्तीय संतुलन मजबूत बना रहे। यदि 31 मार्च तक MSME को भुगतान नहीं किया गया, तो वह खर्च कर गणना में मान्य नहीं होगा और व्यवसाय को अतिरिक्त कर भार उठाना पड़ेगा।

इसलिए, सभी व्यवसायों को यह नियम समझकर MSME से की गई खरीद का समय पर भुगतान करना चाहिए, ताकि उन्हें कर में किसी भी तरह की समस्या का सामना न करना पड़े।

महत्वपूर्ण बातें – क्या करें और क्या न करें?

क्या करें:
✔ MSME से की गई खरीद पर 45 दिनों के भीतर भुगतान करें।
✔ विक्रेता की MSME पंजीकरण स्थिति की पुष्टि करें।
✔ 31 मार्च से पहले सभी लंबित भुगतान निपटा लें।
✔ अकाउंटिंग सॉफ़्टवेयर और ऑटोमेशन का उपयोग करें ताकि भुगतान में देरी न हो।
✔ कर सलाहकार से परामर्श लें ताकि सभी अनुपालन पूरे किए जा सकें।

क्या न करें:

❌ MSME को 31 मार्च के बाद भुगतान करने की गलती न करें।
❌ बिना जांचे किसी व्यापारी (Trader) को MSME मानकर गलतफहमी न पालें।
❌ कर रिकॉर्ड और भुगतान का सही रिकॉर्ड बनाए रखने में लापरवाही न करें।

*"समय पर भुगतान करें – MSME को सशक्त बनाएं और अपने व्यवसाय को कर जोखिम से बचाएं!"*