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Friday, 4 July 2025

FASTag/टोल डेटा से माल की आवाजाही का सत्यापन – क्या यह बिना कानूनी प्रावधान के वैध है या जबरन टोल वसूली का माध्यम?

क्या FASTag/टोल डेटा द्वारा वस्तुओं की आवाजाही का सत्यापन कानून में स्पष्ट प्रावधान के बिना उचित है?
जब FASTag मार्गों पर यात्रा सभी के लिए मुफ्त नहीं है, तो यह एक प्रकार से जबरन टोल शुल्क की वसूली नहीं है क्या? अन्यथा प्राप्तकर्ता को फर्जी खरीद के आरोपों का सामना करना पड़ता है।

आजकल विभाग द्वारा एक बढ़ती प्रवृत्ति देखने को मिल रही है, जिसमें वाहन नंबर FASTag पोर्टल से ट्रेस कर लिए जाते हैं और यदि वाहन की कोई यात्रा रिकॉर्ड में नहीं मिलती (भले ही आंशिक रूप से), तो गुड्स रिसीव न होने की आधार पर ITC अस्वीकार कर दिया जाता है, जबकि वस्तुएं वास्तव में प्राप्त हो चुकी होती हैं। FASTag डेटा से आधारित इस सत्यापन प्रणाली में कई मौलिक समस्याएं हैं:

a) क्या भारत के सभी मार्ग FASTag/टोल से कवर हैं? – नहीं
b) क्या कानून में कहीं लिखा है कि केवल FASTag/टोल मार्ग से ही माल भेजा जाए? – नहीं
c) क्या प्राप्तकर्ता को ट्रांसपोर्टर के FASTag/टोल डेटा तक पहुंच है? – नहीं
d) क्या प्राप्तकर्ता ट्रांसपोर्टर को सिर्फ FASTag मार्ग से चलने के लिए बाध्य कर सकता है? – नहीं
e) क्या सभी राज्य राजमार्गों पर FASTag या ऑटोमेटिक वाहन रिकॉर्डिंग सिस्टम है? – नहीं
f) FASTag मार्गों से चलने पर टोल देना पड़ता है, यदि ट्रांसपोर्टर टोल बचाने हेतु वैकल्पिक मार्ग से जाना चाहे, तो यह उसका वैध अधिकार है।
g) क्या टोल प्लाज़ा पर हर वाहन की जानकारी रिकॉर्ड करना अनिवार्य है? और यदि तकनीकी गड़बड़ी हो जाए या वाहन नंबर गलत दर्ज हो, तो क्या उस आधार पर ITC नकारा जा सकता है? – नहीं
h) यदि प्राप्तकर्ता को FASTag मार्ग का पालन करने के लिए मजबूर किया जा रहा है, तो यह उस पर एक अनावश्यक आर्थिक बोझ है, जो केवल "जेनुइन" माने जाने के लिए उठाना पड़ता है। यदि FASTag मार्ग अनिवार्य है, तो देश की सभी सड़कों को टोल-मुक्त कर दिया जाए।

 पोस्ट माल के मूवमेंट की वैधता जांचने के खिलाफ नहीं है, बल्कि यह मांग करती है कि:
प्राप्तकर्ता को भी वाहन मूवमेंट का डेटा देखने का अधिकार मिले,
केवल FASTag डेटा पर निर्भरता न हो,
एक वैकल्पिक सत्यापन प्रणाली लाई जाए,
और यह सुनिश्चित किया जाए कि टोल डेटा के आधार पर एकतरफा कार्रवाई से प्राप्तकर्ता को फर्जी खरीद का दोषी न ठहराया जाए।

जब डेटा विभाग के पास है लेकिन प्राप्तकर्ता के पास नहीं, तो यह असमान अधिकार की स्थिति पैदा करता है, जो न्यायसंगत नहीं है।

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