नकद लेनदेन ₹2 लाख से ज़्यादा होने पर कोर्ट और सब-रजिस्ट्रार ऑफिस (SRO) को इनकम टैक्स विभाग को जानकारी देनी होगी
सुप्रीम कोर्ट का फैसला:
सुप्रीम कोर्ट ने यह निर्देश दिया है कि अगर किसी मुकदमे (सूट) या दस्तावेज़ (जैसे बिक्री विलेख) में ₹2 लाख या उससे ज़्यादा की नकद लेन-देन का ज़िक्र होता है, तो कोर्ट और सब-रजिस्ट्रार ऑफिस को यह जानकारी संबंधित इनकम टैक्स विभाग को अनिवार्य रूप से देनी होगी। यह आदेश आयकर अधिनियम की धारा 269ST को लागू करने के उद्देश्य से दिया गया है।
1. कोर्ट की ज़िम्मेदारी:
अगर किसी सिविल मुकदमे में कहा गया है कि ₹2 लाख या उससे ज़्यादा नकद में भुगतान हुआ है, तो उस कोर्ट को संबंधित आयकर अधिकारी को इसकी सूचना देनी होगी।
2. सब-रजिस्ट्रार की ज़िम्मेदारी:
जब कोई व्यक्ति दस्तावेज़ रजिस्ट्री कराने आता है (जैसे जमीन या संपत्ति की बिक्री), और उसमें नकद भुगतान ₹2 लाख या उससे ज़्यादा का उल्लेख है, तो सब-रजिस्ट्रार को इसकी सूचना तुरंत आयकर विभाग को देनी होगी।
3. अनदेखी करने पर कार्रवाई:
अगर कोई अधिकारी यह रिपोर्ट नहीं करता, तो उस पर राज्य या केंद्र शासित प्रदेश के मुख्य सचिव द्वारा अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।
धारा 269ST के अनुसार:
नकद में ₹2 लाख या उससे अधिक लेना निषिद्ध है यदि:
यह एक ही लेन-देन में हो,
एक व्यक्ति से एक दिन में हो,
या किसी एक आयोजन/घटना से जुड़ा हुआ हो।
उल्लंघन करने पर आयकर अधिनियम की धारा 271DA के तहत जितनी राशि नकद ली गई हो, उतनी ही पेनल्टी लग सकती है।
यह निर्णय काले धन पर रोक लगाने और नकद लेन-देन की पारदर्शिता बढ़ाने के लिए एक बड़ा कदम माना जा रहा है!
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