1. रूल 86B के अनुपालन पर जीएसटी पंजीकरण की बहाली
उज्ज्वल गर्ग बनाम आयुक्त, व्यापार और कर विभाग मामले में दिल्ली उच्च न्यायालय ने निर्णय दिया कि रूल 86B के उल्लंघन के कारण जीएसटी पंजीकरण का निलंबन आवश्यक राशि जमा करने के बाद समाप्त कर दिया जाना चाहिए। मामले में, याचिकाकर्ता का पंजीकरण निलंबित कर दिया गया था क्योंकि उसने अपने कर देयता का 99% से अधिक हिस्सा इलेक्ट्रॉनिक क्रेडिट लेजर का उपयोग कर चुका था, जो कि रूल 86B के विरुद्ध था। याचिकाकर्ता ने बाद में 80,000 रुपये जमा किए, जिसके बाद न्यायालय ने माना कि जीएसटी पंजीकरण का निलंबन व्यापारी के व्यवसाय पर व्यापक प्रतिकूल प्रभाव डालता है और इसे गहन विचार के बाद ही किया जाना चाहिए। इसलिए, न्यायालय ने तुरंत याचिकाकर्ता का पंजीकरण बहाल करने का आदेश दिया।
2. समान मामले में राज्य जीएसटी प्राधिकरण द्वारा दूसरी SCN जारी करने पर रोक
टोयोटा किर्लोस्कर मोटर (प्रा.) लिमिटेड बनाम भारत संघ मामले में कर्नाटक उच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया कि अगर किसी मामले में केंद्रीय जीएसटी प्राधिकरण ने पहले ही नोटिस (SCN) जारी कर दिया है, तो राज्य जीएसटी प्राधिकरण समान मामले में दोबारा नोटिस जारी नहीं कर सकता है। इस मामले में, केंद्रीय जीएसटी ने पहले आईटीसी से संबंधित नोटिस जारी किए थे, जिसके बाद राज्य जीएसटी ने उसी विषय में फिर से नोटिस जारी किया। न्यायालय ने इसे बिना अधिकार क्षेत्र के घोषित कर राज्य जीएसटी का नोटिस निरस्त कर दिया और मामले को केंद्रीय जीएसटी को पुनर्विचार के लिए भेजा, जिसमें सर्कुलर संख्या 211/5/24-जीएसटी और बॉश लिमिटेड के फैसले का संदर्भ दिया गया।
इन मामलों से यह स्पष्ट होता है कि कर अधिकारियों को नियमों का पालन करना चाहिए और करदाताओं के अधिकारों की सुरक्षा के लिए समान मामले में दोहरी कार्यवाही या अत्यधिक दंडात्मक कार्रवाई से बचना चाहिए।
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