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Wednesday, 25 December 2024

विषय: लीज़ पर लिए गए वैगनों के लिए ई-वे बिल (EWB) सिस्टम में रसीद नंबर दर्ज करने के लिए विस्तृत दिशा-निर्देश

जीएसटी एडवाइजरी: 23 दिसंबर 2024          


 यह सलाह GSTN द्वारा लीज़ पर लिए गए वैगनों (Leased Wagons) के लिए ई-वे बिल (EWB) प्रणाली में रसीद नंबर दर्ज करने के लिए प्रक्रिया को स्पष्ट करने और त्रुटियों को रोकने के लिए जारी की गई है। इन निर्देशों का पालन कर आप न केवल अनुपालन सुनिश्चित करेंगे, बल्कि अपने माल के सुचारू परिवहन में भी मदद करेंगे।

1. रसीद नंबर दर्ज करने के लिए प्रीफिक्स का उपयोग

a) लीज़ पर लिए गए वैगनों के लिए (Leased Wagons):

  • लीज़ पर लिए गए वैगनों के माध्यम से माल का परिवहन करने वाले करदाताओं को रसीद नंबर के आगे "L" प्रीफिक्स जोड़ना होगा।
  • यह प्रीफिक्स दर्शाता है कि माल लीज़ पर लिए गए वैगन द्वारा ले जाया जा रहा है।

b) अन्य रेलवे मोड्स के लिए:

  • पार्सल मैनेजमेंट सिस्टम (PMS): PWB नंबर दर्ज करते समय "P" प्रीफिक्स का उपयोग करें।
  • फ्रेट ऑपरेशन इंफॉर्मेशन सिस्टम (FOIS): RR नंबर दर्ज करते समय "F" प्रीफिक्स का उपयोग करें।

लागू तिथि:
यह प्रावधान 1 जनवरी 2025 से अनिवार्य होगा।


2. ई-वे बिल के पार्ट-B में रेल परिवहन का चयन

ई-वे बिल बनाते समय निम्नलिखित कदम उठाएं:

  1. मल्टी-ट्रांसपोर्ट मोड का चयन करें।
  2. पार्ट-B में परिवहन मोड "Rail" का चयन करें।
  3. रसीद नंबर के आगे संबंधित प्रीफिक्स जोड़कर सही प्रारूप में दर्ज करें।

उदाहरण:

  • यदि रसीद नंबर 987654321 है और माल लीज़ पर लिए गए वैगन में जा रहा है, तो इसे L987654321 के रूप में दर्ज करें।
  • यदि वही माल PMS के अंतर्गत जा रहा है, तो इसे P987654321 के रूप में दर्ज करें।

3. रसीद नंबर दर्ज करने का सही प्रारूप

लीज़ वैगनों के लिए प्रारूप:

L <रसीद नंबर>

  • उदाहरण: L123456789

PMS और FOIS के लिए प्रारूप:

  • PMS: P123456789
  • FOIS: F123456789

अधिक उदाहरण:



4. सत्यापन प्रक्रिया (Validation Process)

  • रसीद नंबर दर्ज करने के बाद, सिस्टम इसे प्रासंगिक डेटाबेस के साथ सत्यापित करेगा।
  • यदि रसीद नंबर या प्रीफिक्स गलत है, तो सिस्टम आपको अलर्ट करेगा।
  • करदाता को तुरंत त्रुटि सुधार कर सही नंबर दर्ज करना होगा।

सामान्य गलतियां:



5. मदद और समर्थन (Support)

यदि आपको किसी प्रकार की समस्या हो, तो निम्नलिखित मदद प्राप्त करें:

  1. ई-वे बिल सपोर्ट पोर्टल पर टिकट दर्ज करें।
  2. अपनी प्रविष्टि से संबंधित सभी विवरण (जैसे रसीद नंबर और प्रीफिक्स) प्रदान करें।
  3. अधिक सहायता के लिए जीएसटी हेल्पडेस्क से संपर्क करें।

6. विस्तृत उदाहरण और परिदृश्य (Scenarios):

परिदृश्य 1: लीज़ वैगन द्वारा परिवहन

  • रसीद नंबर: 678901234
  • दर्ज किया गया प्रारूप: L678901234
  • मोड: Rail

परिदृश्य 2: PMS द्वारा परिवहन

  • रसीद नंबर: 112233445
  • दर्ज किया गया प्रारूप: P112233445
  • मोड: Rail

परिदृश्य 3: FOIS द्वारा परिवहन

  • रसीद नंबर: 998877665
  • दर्ज किया गया प्रारूप: F998877665
  • मोड: Rail

7. महत्वपूर्ण सुझाव

  1. सटीक जानकारी दर्ज करें: सुनिश्चित करें कि रसीद नंबर और प्रीफिक्स सही हैं।
  2. डेटा को दोबारा जांचें: फाइनल सबमिशन से पहले रसीद नंबर और मोड का सत्यापन करें।
  3. प्रशिक्षण: अपने स्टाफ को इन नए निर्देशों के बारे में प्रशिक्षित करें।

Regard 
Adv Sarfaraj Ansari

Monday, 23 December 2024

55वीं GST काउंसिल बैठक के महत्वपूर्ण निर्णय और बदलाव

55वीं GST काउंसिल बैठक के मुख्य निर्णय:

1. पोषित चावल के कर्नल्स - GST दर में कटौती
पोषित चावल के कर्नल्स पर GST दर को 5% कर दिया गया है।
उदाहरण: यदि कोई निर्माता पोषित चावल के कर्नल्स बनाता है, तो इन वस्तुओं पर अब 5% GST लगेगा, जो पहले उच्च दर पर था।

2. जीन थेरेपी और जीवन-रक्षक दवाइयों पर GST छूट
जीन थेरेपी और जीवन-रक्षक दवाइयों पर पूरी तरह से GST छूट दी जाएगी।
उदाहरण: दुर्लभ बीमारियों या आनुवंशिक विकारों के लिए उपयोग की जाने वाली दवाइयां अब GST से मुक्त होंगी, जिससे मरीजों का खर्च कम होगा।

3. मर्चेंट एक्सपोर्ट्स पर मुआवजा उपकर (Compensation Cess) में कमी
मर्चेंट एक्सपोर्ट्स को आपूर्ति करने पर मुआवजा उपकर को 0.1% कर दिया गया है।
उदाहरण: यदि आपूर्ति करने वाला किसी निर्यातक को 1,00,000 रुपये का माल बेचता है, तो अब मुआवजा उपकर केवल 100 रुपये होगा।

4. IAEA सैंपल्स पर IGST छूट
IAEA को भेजे गए सैंपल्स पर IGST छूट, विशिष्ट शर्तों के तहत।
उदाहरण: यदि किसी देश द्वारा वैज्ञानिक परीक्षण के लिए IAEA को सैंपल्स भेजे जाते हैं, तो इन वस्तुओं पर IGST नहीं लगेगा।

5. AAC ब्लॉक्स - GST स्पष्टीकरण
50% से अधिक फ्लाई ऐश सामग्री वाले ऑटोक्लेव्ड एराटेड कंक्रीट (AAC) ब्लॉक्स पर 12% GST लागू होगा।
उदाहरण: निर्माणकर्ता यदि 50% से अधिक फ्लाई ऐश सामग्री वाले AAC ब्लॉक्स का उपयोग करते हैं, तो उन्हें 12% GST देना होगा।

6. मुफ्त आपूर्ति के लिए खाद्य सामग्री इनपुट - GST छूट
मुफ्त आपूर्ति के लिए खाद्य तैयारी के लिए उपयोग किए गए इनपुट्स पर GST छूट।
उदाहरण: यदि एक चैरिटेबल संगठन गरीबों के लिए मुफ्त भोजन तैयार करता है, तो सामग्री पर GST नहीं लगेगा।

7. कृषि से हरी और काली मिर्च पर GST छूट
कृषि उत्पादकों द्वारा बेची गई हरी और काली मिर्च पर GST नहीं लगेगा।
उदाहरण: यदि एक किसान ताजे काले मिर्च को थोक विक्रेता को बेचता है, तो उसे GST नहीं देना होगा।

8. पेमेन्ट एग्रीगेटर्स - 2000 रुपये से कम की भुगतान प्रक्रिया पर GST छूट
पेमेन्ट एग्रीगेटर्स जो 2000 रुपये से कम के भुगतानों पर प्रक्रिया करते हैं, उन्हें GST छूट मिलेगी।
उदाहरण: यदि एक पेमेन्ट एग्रीगेटर छोटे ऑनलाइन लेन-देन को प्रोसेस करता है, तो उस पर GST नहीं लगेगा।

9. पेमेन्ट गेटवे पर छूट नहीं
पेमेन्ट एग्रीगेटर्स की छूट पेमेन्ट गेटवे पर लागू नहीं होगी।
उदाहरण: यदि एक पेमेन्ट गेटवे 2000 रुपये से ऊपर के भुगतानों की प्रक्रिया करता है, तो उस पर GST लगेगा।

10. बैंकों द्वारा पेनल शुल्क पर GST नहीं
बैंकों द्वारा उधारकर्ताओं से लिए गए पेनल शुल्क पर GST नहीं लगेगा।
उदाहरण: यदि उधारकर्ता कर्ज में चूक करता है, तो बैंक द्वारा लगाए गए पेनल शुल्क पर GST नहीं लगेगा।

11. बीमा प्रीमियम दरों में कटौती पर निर्णय नहीं
GST काउंसिल ने बीमा प्रीमियम पर दर कटौती या सामान्यीकरण पर कोई निर्णय नहीं लिया।
उदाहरण: स्वास्थ्य या जीवन बीमा प्रीमियम पर वर्तमान GST दर अपरिवर्तित रहेगी।

12. स्मॉल कंपनियों के लिए सरल GST पंजीकरण प्रक्रिया
छोटे कंपनियों के लिए GST पंजीकरण प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए काउंसिल ने अवधारणा नोट को मंजूरी दी।
उदाहरण: अब छोटे व्यवसायों को GST पंजीकरण में कम अनुपालन बाधाओं का सामना करना पड़ेगा।

13. प्री-पैकेज्ड और लेबल्ड वस्तुओं की परिभाषा में विस्तार
प्री-पैकेज्ड और लेबल्ड वस्तुओं की परिभाषा अब सभी रिटेल बिक्री के लिए तैयार वस्तुओं को शामिल करेगी।
उदाहरण: पैक किए गए खाद्य उत्पाद जैसे बिस्कुट या स्नैक्स अब इस परिभाषा के तहत आएंगे, जिससे GST के नियम समान होंगे।

14. वित्त मंत्री की मीडिया को सलाह
वित्त मंत्री ने मीडिया को दरों में कटौती या वृद्धि पर अटकलबाजी से बचने की सलाह दी।
उदाहरण: वित्त मंत्री ने कहा कि दरों में बदलाव के बारे में किसी भी समाचार को केवल आधिकारिक घोषणाओं पर आधारित होना चाहिए, न कि मीडिया की अटकलबाजी पर।

15. रीयल एस्टेट क्षेत्र में FSI पर निर्णय स्थगित
रीयल एस्टेट क्षेत्र में FSI पर RCM या FCM की लागूता पर निर्णय स्थगित किया गया।
उदाहरण: रीयल एस्टेट डेवलपर्स को FSI पर GST लागू होने के बारे में और स्पष्टीकरण का इंतजार करना होगा।

16. ATF (एविएशन टरबाइन फ्यूल) को GST के तहत लाने पर सहमति नहीं
एविएशन टरबाइन फ्यूल (ATF) को GST के तहत लाने के प्रस्ताव पर सहमति नहीं हुई।
उदाहरण: एयरलाइंस को ईंधन पर राज्य-विशिष्ट VAT या अन्य करों का भुगतान जारी रखना होगा, न कि GST।

17. स्किल ट्रेनिंग काउंसिल के प्रशिक्षण भागीदारों को GST से छूट
स्किल ट्रेनिंग काउंसिल के प्रशिक्षण भागीदारों को GST से छूट मिलेगी।
उदाहरण: सरकारी योजनाओं के तहत कोर्स करने वाले प्रशिक्षण संस्थानों पर GST लागू नहीं होगा।

18. कैरेमलाइज्ड पॉपकॉर्न और नमकीन पॉपकॉर्न पर GST का भिन्न treatment
कैरेमलाइज्ड पॉपकॉर्न (जिसमें शक्कर मिलाई गई हो) को नमकीन पॉपकॉर्न से अलग तरीके से GST में treat किया जाएगा।
उदाहरण: शक्कर से तैयार कैरेमलाइज्ड पॉपकॉर्न पर अलग दर से GST लगेगा, जबकि नमकीन पॉपकॉर्न पर अलग दर होगी।

19. नए EVs पर 5% GST
नए इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) पर 5% GST लागू होगा।
उदाहरण: यदि कोई ग्राहक नया इलेक्ट्रिक कार खरीदता है, तो उस पर 5% GST लगेगा।

20. दूसरे हाथ के EVs पर 18% GST
दूसरे हाथ के इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री पर 18% GST लगेगा।
उदाहरण: यदि कोई डीलर एक उपयोग की गई इलेक्ट्रिक कार बेचता है, तो उसे बिक्री के मुनाफे पर 18% GST देना होगा।


Regard
एडवोकेट
Sarfaraj Ansari

कंपोजीशन करदाताओं को बड़ी राहतव्यावसायिक किराए पर रिवर्स चार्ज खत्म 10 अक्टूबर 2024 से प्रभावी

🌟 महत्वपूर्ण GST अपडेट: कंपोजिशन करदाताओं के लिए 🌟

GST काउंसिल ने हाल ही में एक बड़ा बदलाव किया है जो छोटे करदाताओं, खासतौर पर कंपोजिशन स्कीम के तहत आने वालों, को प्रभावित करेगा।

🔄 10 अक्टूबर 2024 से, रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म (RCM) के तहत रजिस्टर्ड व्यक्तियों द्वारा अनरजिस्टर्ड व्यक्तियों से कमर्शियल प्रॉपर्टी किराए पर लेने पर GST लागू नहीं होगा, अगर किरायेदार कंपोजिशन करदाता है।

यह बदलाव कंपोजिशन करदाताओं को बड़ी राहत प्रदान करेगा, जो पहले RCM के तहत GST चुकाते थे लेकिन उसके लिए इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) का लाभ नहीं ले सकते थे।

मुख्य बिंदु:
1. यह राहत सिर्फ कंपोजिशन करदाताओं के लिए है, नियमित करदाताओं के लिए नहीं।

2. यह नियम 10 अक्टूबर 2024 से लागू होगा। पहले चुकाए गए टैक्स का रिफंड उपलब्ध नहीं होगा।

इस बदलाव के फायदे:
कम्प्लायंस में कमी: कंपोजिशन करदाताओं को अब इस प्रकार की लेनदेन पर RCM के तहत GST भरने की जरूरत नहीं है।

खर्चों में बचत: चूंकि कंपोजिशन करदाता ITC क्लेम नहीं कर सकते, यह बदलाव उनकी आर्थिक स्थिति को मजबूत करेगा।

कोई रिफंड नहीं: 10 अक्टूबर 2024 से पहले चुकाए गए GST का रिफंड नहीं मिलेगा, इसलिए सही तिथि के बाद से इस नियम का पालन करें।

सलाह:
लेनदेन की समीक्षा करें: 10 अक्टूबर 2024 के बाद के सभी रेंटल एग्रीमेंट्स और लेनदेन की जांच करें।

रिकॉर्ड्स बनाए रखें: इस नियम के तहत सही दस्तावेज़ रखें ताकि आवश्यकता पड़ने पर इसे सिद्ध किया जा सके।

भूमि मालिकों को सूचित करें: रेंटल देने वालों को इस बदलाव के बारे में जानकारी दें ताकि अनावश्यक GST चालान से बचा जा सके।

यह अपडेट छोटे करदाताओं को राहत देने और उनके अनुपालन बोझ को कम करने की दिशा में एक सकारात्मक कदम है।

Regard
Advocate
Sarfaraj Ansari

Sunday, 1 December 2024

उच्च न्यायालय का निर्देश, आदेश से पहले व्यक्तिगत सुनवाई अनिवार्यप्राकृतिक न्याय सुनिश्चित करने के लिए जीएसटी विभाग की सख्त कार्रवाई जारी किया Circular (नम्बर- 1518)

उत्तर प्रदेश जीएसटी विभाग ने अधिकारियों को करदाताओं के खिलाफ आदेश पारित करने से पहले उचित व्यक्तिगत सुनवाई प्रदान करने के लिए सख्त निर्देश जारी किए हैं। यह कदम इलाहाबाद उच्च न्यायालय के कई आदेशों के बाद उठाया गया है, जिसमें व्यक्तिगत सुनवाई न देने को प्राकृतिक न्याय के उल्लंघन के रूप में देखा गया।

धारा 75(4) के तहत यह अनिवार्य है कि यदि करदाता सुनवाई की मांग करता है या प्रतिकूल निर्णय की संभावना है, तो व्यक्तिगत सुनवाई दी जानी चाहिए। हाल ही में, अदालत ने सुनवाई के बिना पारित आदेशों को रद्द कर दिया और अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि सुनवाई की तारीख और समय स्पष्ट रूप से निर्दिष्ट हों। इसके साथ ही, जिन अधिकारियों ने इस नियम का पालन नहीं किया, उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई के निर्देश भी दिए गए हैं।

28 नवंबर 2024 को Circular संख्या 1518 जारी किया गया, जिसमें यह सुनिश्चित करने के लिए सख्त निर्देश दिए गए हैं कि आदेश पास करने से पहले सुनवाई का उचित अवसर दिया जाए।




Thursday, 28 November 2024

"PAN 2.0: पैन सेवाओं का एकीकृत और स्मार्ट समाधान"



PAN 2.0 परियोजना के तहत मौजूदा पैन कार्ड धारकों को नया पैन बनवाने की आवश्यकता नहीं होगी। उनका वर्तमान पैन कार्ड PAN 2.0 में भी पूरी तरह मान्य रहेगा।

यह परियोजना पैन और टैन से जुड़ी सभी सेवाओं को एक ही पोर्टल पर उपलब्ध कराएगी, जिससे सभी सेवाओं का उपयोग करना सरल और सुविधाजनक हो जाएगा। इस पोर्टल पर निम्नलिखित सेवाएं मिलेंगी:

पैन/टैन का आवंटन, सुधार और अपडेट

ऑनलाइन पैन सत्यापन (OPV)

अपने AO (असेसिंग ऑफिसर) की जानकारी

आधार-पैन लिंकिंग

पैन सत्यापन और ई-पैन डाउनलोड

पैन कार्ड की पुनः प्रिंटिंग


PAN 2.0 में अत्याधुनिक तकनीक का उपयोग किया गया है, जो डुप्लीकेट पैन आवेदनों की पहचान और निपटान के लिए एक मजबूत और केंद्रीकृत प्रणाली प्रदान करेगा। इससे एक व्यक्ति के पास एक से अधिक पैन कार्ड होने की संभावना लगभग खत्म हो जाएगी, जिससे पैन से जुड़ी प्रक्रियाएं अधिक सुरक्षित और पारदर्शी होंगी।


Monday, 25 November 2024

व्यवसायिक किराए पर GST: रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म (RCM) और अनुपालन निर्देश

व्यवसायिक किराए पर GST: रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म (RCM) और अनुपालन निर्देश

GST कानून के तहत, व्यवसायिक संपत्ति के किराए पर रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म (RCM) के प्रावधान लागू होते हैं। यदि मकान मालिक GST पंजीकृत नहीं है या किराए पर GST चार्ज नहीं करता, तो किराएदार को रिवर्स चार्ज के तहत टैक्स का भुगतान करना अनिवार्य है।


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क्या करें:

1. रेंट एग्रीमेंट की समीक्षा करें:

किराए की राशि और शर्तें स्पष्ट होनी चाहिए।

यदि मकान मालिक पंजीकृत है और GST चार्ज कर रहा है, तो उसकी GSTIN और इनवॉइस की जांच करें।



2. RCM के तहत भुगतान:

यदि मकान मालिक पंजीकृत नहीं है और प्रॉपर्टी व्यवसायिक उपयोग के लिए किराए पर दी गई है, तो किराएदार को हर माह GST रिवर्स चार्ज के तहत भुगतान करना होगा।

GST रेट: किराए की राशि पर 18% लागू होता है।



3. GSTR-3B में रिपोर्टिंग:

रिवर्स चार्ज के तहत भुगतान की गई GST को GSTR-3B में सही कॉलम में रिपोर्ट करें।

यदि आप GST पंजीकृत हैं, तो इसे ITC के रूप में क्लेम कर सकते हैं, यदि अन्य शर्तें पूरी होती हैं।










Monday, 18 November 2024

GST में रिटर्न देरी पर ब्याज से राहत: जानें कब और कैसे मिलेगा फायदा

GST के तहत ब्याज की गणना में राहत से संबंधित प्रावधान को बहुत अच्छी तरह से स्पष्ट किया है। इसे और अधिक सरल शब्दों में समझा जा सकते हैं



Inserted vide Notification No. 12/2024-CT dated. 10.07.2024.





क्या है यह नियम?

यदि आप रिटर्न दाखिल करने में देरी करते हैं लेकिन कर की राशि पहले से इलेक्ट्रॉनिक कैश लेजर में जमा कर दी गई है, तो उस जमा राशि पर कोई ब्याज नहीं लगेगा।

राहत किस पर लागू होगी?

केवल उस राशि पर, जो रिटर्न की नियत तारीख तक कैश लेजर में जमा है।

शेष किसी भी राशि पर (जो लेजर में जमा नहीं थी या बाद में जमा की गई), ब्याज लागू होगा।



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मुख्य उद्देश्य:

यह करदाताओं को यह सुविधा देता है कि अगर वे समय पर कर भुगतान कर दें, तो रिटर्न दाखिल करने की देरी पर ब्याज का अतिरिक्त बोझ न पड़े।


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उदाहरण:

GST की नियत तारीख: 20 नवंबर।

आपने कर की राशि जमा की: 18 नवंबर को (कैश लेजर में)।

रिटर्न दाखिल किया: 25 नवंबर को।


➡ इस स्थिति में 18 से 25 नवंबर तक उस जमा राशि पर ब्याज नहीं लगेगा।

लेकिन अगर कोई बकाया राशि 25 नवंबर को जमा की गई, तो उस पर नियत तारीख के बाद से ब्याज लागू होगा।


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ध्यान देने योग्य बिंदु:

यह सुविधा तभी उपलब्ध है जब कर की राशि समय पर कैश लेजर में क्रेडिट हो चुकी हो।

यह केवल उस राशि पर लागू है, जो रिटर्न दाखिल करते समय कर भुगतान के लिए उपयोग की गई हो।


इससे करदाता समय पर भुगतान के लिए प्रोत्साहित होते हैं और अनावश्यक ब्याज से बच सकते हैं।


Sunday, 17 November 2024

Representation Regarding Non-Notification of Late Fee Table in GSTR-1Request to Drop Proceedings for Imposition of Late Fees

प्रार्थना पत्र

विषय: GSTR-1 पर विलंब शुल्क के संबंध में अपील

सेवा में,
(संबंधित अधिकारी का नाम),
(कार्यालय का पता)

मान्यवर,

निवेदन है कि निम्नलिखित तथ्यों के आधार पर GSTR-1 पर विलंब शुल्क लगाने के लिए की गई कार्रवाई को वापस लिया जाए:

1. विलंब शुल्क की तालिका GSTR-1 में अधिसूचित नहीं है

यद्यपि GST अधिनियम की धारा 47 में विलंब शुल्क लगाने का प्रावधान है और धारा 37 को शामिल किया गया है, परंतु GSTR-1 फॉर्म (जो कि नियम 59(1) के तहत अधिसूचित है) में विलंब शुल्क के लिए कोई तालिका नहीं है।

जब तक विलंब शुल्क की तालिका GSTR-1 फॉर्म में अधिसूचित नहीं होती, तब तक इसे पोर्टल पर लागू नहीं किया जा सकता और सरकार इसे वसूल नहीं कर सकती।



2. GSTR-8 पर विलंब शुल्क का उदाहरण

GSTR-8 (TCS रिटर्न) पर 26.10.2022 से पहले कोई विलंब शुल्क नहीं था।

सरकार ने विलंब शुल्क लागू करने के बाद GSTR-8 फॉर्म में ब्याज और विलंब शुल्क भुगतान की तालिका जोड़ी, और तभी इसे वसूलना शुरू किया।

GSTR-1 में ऐसी कोई तालिका अब तक अधिसूचित नहीं हुई है।



3. GSTR-1 रिटर्न नहीं, बल्कि स्टेटमेंट है

GST कानून के अनुसार GSTR-1 एक स्टेटमेंट है, रिटर्न नहीं। अतः विलंब शुल्क लागू नहीं होना चाहिए।



4. विलंब शुल्क पोर्टल पर स्वतः लागू करने का प्रस्ताव अधिसूचित नहीं हुआ

45वीं GST परिषद बैठक (17 सितंबर 2021) में यह अनुशंसा की गई थी कि GSTR-1 का विलंब शुल्क अगले खुले रिटर्न (GSTR-3B) में स्वतः जोड़ा जाएगा।

यह अनुशंसा आज तक अधिसूचित नहीं हुई है।



5. प्रारंभिक वर्षों में विलंब शुल्क नहीं लगाया गया

GST के प्रारंभिक वर्षों में GSTR-1 पर कभी भी विलंब शुल्क नहीं लगाया गया।



6. विलंब शुल्क छोटे व्यापारियों पर आर्थिक बोझ डालता है

विलंब शुल्क देरी के दिनों के आधार पर लिया जाता है, जिससे छोटे व्यापारियों को भारी आर्थिक बोझ सहना पड़ता है।




प्रार्थना:
उपरोक्त तथ्यों के आधार पर निवेदन है कि आपके कार्यालय से इस संबंध में की गई कार्रवाई को वापस लिया जाए। यदि आपके द्वारा कोई प्रतिकूल आदेश पारित किया जाना हो, तो हमें अपना पक्ष रखने का अवसर प्रदान किया जाए।

दिनांक: __________
आपका विश्वासी,
(अपना नाम और विवरण)


Representation

Subject: Request to Drop Proceedings Related to Late Fees on GSTR-1

To,
The Concerned Officer,
(Office Address)

Respected Sir/Madam,

I hereby submit this representation regarding the imposition of late fees on GSTR-1 filings. The following points are submitted for your kind consideration:

1. Non-Notification of Late Fee Table in GSTR-1

Section 47 of the GST Act provides for the levy of late fees, and Section 37 includes provisions for GSTR-1. However, the prescribed Form GSTR-1 (as per Rule 59(1)) does not include a table for late fees.

Without notifying this table in the form, the GST portal cannot operationalize the levy of late fees. Thus, in the absence of notification in the prescribed form, the late fees cannot legally be collected.


2. Case of GSTR-8 Late Fee Notification

Initially, there was no late fee provision for GSTR-8 (TCS Returns). With effect from 26.10.2022, the government decided to levy late fees on GSTR-8 and amended Section 47 to include this.

When this levy was implemented, the Form GSTR-8 was updated to include a table for interest and late fees payable and paid. Only after this notification was the late fee imposed on GSTR-8 filings.

In contrast, the Form GSTR-1 has not been updated with a similar table, and no such notification has been issued to date.


3. GSTR-1 is a Statement, Not a Return

As per the GST Law, GSTR-1 is a statement of outward supplies and not a return. Therefore, the levy of late fees on GSTR-1 is not consistent with the legal framework.


4. 45th GST Council Meeting Recommendations

The Ministry of Finance, in the 45th GST Council meeting on 17th September 2021, recommended that late fees for delayed filing of GSTR-1 should be auto-populated and collected in the next open return (GSTR-3B).

It was further suggested that this mechanism would apply prospectively from July 2021. However, this recommendation has not been notified or implemented on the GST portal to date.


5. No Late Fees Charged Initially

During the initial years of GST implementation, late fees were not charged for delayed GSTR-1 filings. The GST system did not calculate or impose such fees for GSTR-1 during that period.


6. Financial Burden on Taxpayers

The late fee is calculated based on the number of days of delay, which can impose a significant financial burden, particularly on small businesses, even when no tax liability arises from GSTR-1 filings.


Prayer

In view of the above submissions, it is respectfully requested that the proceedings for imposing late fees on GSTR-1 filings be dropped. Additionally, if an adverse order is proposed, we request an opportunity to present our case before such an order is passed.

Date: __________
Yours sincerely,
(Name)
(Designation/Contact Details)



Thursday, 14 November 2024

जीएसटी में इनवॉइस मैचिंग सिस्टम (IMS): प्रमुख विशेषताएं और कार्य करने के नियम

जीएसटी में इनवॉइस मैचिंग सिस्टम (IMS) से जुड़े मुख्य बिंदु:

1. लॉन्च की तारीख: IMS को 1 अक्टूबर से शुरू किया गया है।


2. GSTR-3B दाखिल करने पर रिकॉर्ड का हटना: एक विशिष्ट GSTR-2B अवधि के लिए GSTR-3B दाखिल होने के बाद उस अवधि के सभी स्वीकृत या अस्वीकृत रिकॉर्ड्स IMS से हटा दिए जाएंगे। केवल पेंडिंग रिकॉर्ड्स और भविष्य की अवधि के इनवॉइस ही IMS में बने रहेंगे।


3. दस्तावेज़ों की रियल-टाइम उपलब्धता: सप्लायर द्वारा GSTR-1, GSTR-1A या IFF में अपलोड किए गए दस्तावेज तुरंत IMS में प्राप्तकर्ता के लिए कार्रवाई हेतु उपलब्ध हो जाते हैं।


4. डिफॉल्ट स्टेटस - नो एक्शन: डिफॉल्ट रूप से, सभी रिकॉर्ड्स "नो एक्शन" श्रेणी में चले जाते हैं, और GSTR-2B जनरेशन के समय "नो एक्शन" वाले रिकॉर्ड को स्वीकृत माना जाएगा।


5. मल्टीपल एक्शन की अनुमति: GSTR-3B दाखिल करने से पहले प्राप्तकर्ता किसी दस्तावेज पर कई बार कार्रवाई कर सकते हैं। अंतिम एक्शन पिछली कार्रवाई को ओवरराइट कर देगा।


6. कार्रवाई के आधार पर दस्तावेजों का व्यवहार:

Accept: स्वीकृत रिकॉर्ड GSTR-2B के ‘ITC Available’ भाग में आ जाते हैं और GSTR-3B में स्वचालित रूप से शामिल हो जाते हैं।

Reject: अस्वीकृत रिकॉर्ड GSTR-2B के ‘ITC Rejected’ भाग में चले जाते हैं और GSTR-3B में शामिल नहीं होते।

Pending: पेंडिंग रिकॉर्ड्स IMS पर बने रहते हैं और GSTR-2B तथा GSTR-3B में शामिल नहीं होते। ये रिकॉर्ड तब तक IMS में रहते हैं जब तक कि उन्हें स्वीकार या अस्वीकार नहीं किया जाता, या धारा 16(4) में निर्दिष्ट समय सीमा समाप्त नहीं हो जाती।

No Action: "नो एक्शन" स्थिति वाले रिकॉर्ड GSTR-2B जनरेशन के समय स्वीकृत माने जाएंगे।



7. RCM इनवॉइस का IMS से बहिष्कार: RCM इनवॉइस IMS में शामिल नहीं हैं, लेकिन GSTR-2B में हमेशा की तरह दिखते हैं।


8. एक्सेल डाउनलोड सुविधा: IMS डेटा को एक्सेल में डाउनलोड किया जा सकता है।


9. क्रियाओं का समय और GSTR-2B ऑटो-पॉप्युलेशन: यदि GSTR-2B जनरेशन से पहले रिकॉर्ड्स पर कार्रवाई की गई है, तो वे GSTR-3B में स्वतः शामिल हो जाते हैं। यदि GSTR-2B जनरेशन के बाद कार्रवाई की गई, तो प्राप्तकर्ता को GSTR-3B में "Compute GSTR-2B" पर क्लिक करना होगा ताकि बाद की कार्रवाइयों का प्रभाव जोड़ा जा सके।


10. GSTR-2B जनरेशन के लिए फाइलिंग शर्त: यदि पिछली अवधि का GSTR-3B दाखिल नहीं किया गया है, तो अगले महीने की 14 तारीख को ड्राफ्ट GSTR-2B जनरेट नहीं होगा।


11. त्रैमासिक करदाताओं के लिए: तिमाही आधार पर रिटर्न भरने वाले करदाताओं के लिए तिमाही के पहले दो महीनों (M1 और M2) के लिए GSTR-2B जनरेट नहीं होगा।


12. GSTR-2A का निरंतर जनरेशन: GSTR-2A पूर्व की तरह जनरेट होता रहेगा।


13. पुनः गणना की आवश्यकता: यदि GSTR-2B ड्राफ्ट जनरेशन के बाद IMS डैशबोर्ड पर प्राप्तकर्ता द्वारा कोई बदलाव किए जाते हैं, तो GSTR-2B की पुनः गणना अनिवार्य है।


14. कार्रवाई की परिभाषाएं:



Accept: लेन-देन प्राप्तकर्ता के व्यवसाय से संबंधित हैं।

Reject: लेन-देन प्राप्तकर्ता के व्यवसाय से संबंधित नहीं हैं (यह केवल आईटीसी न लेने का मतलब नहीं है)।

Pending: लेन-देन प्राप्तकर्ता के व्यवसाय से संबंधित हैं, लेकिन वर्तमान जीएसटी प्रावधानों के कारण आईटीसी के लिए पात्र नहीं हैं।



Tuesday, 12 November 2024

वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए ITC क्लेम: महत्वपूर्ण GST नियम, शर्तें, और अनुपालन दिशा-निर्देश

FY 2023-24 के लिए ITC (इनपुट टैक्स क्रेडिट) को अंतिम रूप देने के प्रमुख नियम और धाराएं

GST कानून में ITC से संबंधित प्रावधानों का पालन करना महत्वपूर्ण है ताकि आपका ITC क्लेम नियमों के अनुरूप हो और आप किसी भी संभावित पेनल्टी या दंड से बच सकें। यहाँ कुछ मुख्य नियम और धाराओं का विवरण है जो FY 2023-24 के लिए ITC क्लेम करने में आपकी सहायता करेंगे:


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1. ITC पात्रता और आवश्यक शर्तें

धारा 16: ITC पात्रता और आवश्यक शर्तों का प्रावधान करती है, जिसमें केवल वे ही इनपुट क्रेडिट क्लेम किए जा सकते हैं जो व्यवसाय के लिए उपयोग में आए हैं।

धारा 16(2)(c): यह स्पष्ट करती है कि ITC क्लेम तभी मान्य है जब सप्लायर द्वारा सरकार को टैक्स का भुगतान किया गया हो। अगर सप्लायर ने टैक्स नहीं जमा किया है, तो ITC क्लेम अवैध हो सकता है।

धारा 16(4): ITC क्लेम की समयसीमा के अनुसार, वित्तीय वर्ष समाप्ति के बाद अक्टूबर माह की GSTR-3B दाखिल करने की अंतिम तिथि या वार्षिक रिटर्न की अंतिम तिथि (जो भी पहले हो) तक ही ITC क्लेम कर सकते हैं।



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2. इनवॉइस मैचिंग और ITC मिलान प्रक्रिया

धारा 37 और 38: यह धाराएं GSTR-1 और GSTR-2B के माध्यम से इनवॉइस के विवरण दाखिल करने के प्रावधान करती हैं। इसमें दोनों पक्षों (सप्लायर और खरीदार) द्वारा इनवॉइस डेटा का मिलान सुनिश्चित किया जाता है।

रूल 36(4): इस नियम के अनुसार, केवल उन्हीं इनपुट टैक्स क्रेडिट का क्लेम किया जा सकता है जो GSTR-2B में उपलब्ध हों; मैन्युअल प्रविष्टियों पर प्रतिबंध है।

धारा 42: इसमें इनपुट टैक्स क्रेडिट का मिलान और संशोधन प्रक्रिया का उल्लेख है, जिससे किसी भी गलत ITC को सही किया जा सकता है।



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3. सप्लायर कंप्लायंस की समीक्षा और ITC पर प्रभाव

धारा 16(2)(c): यह उपधारा ITC को सप्लायर द्वारा किए गए टैक्स भुगतान से जोड़ती है। अगर सप्लायर टैक्स जमा नहीं करता है, तो ITC अमान्य हो सकता है।

धारा 122(1A): इसके तहत, अगर सप्लायर टैक्स जमा नहीं करता है और ITC का लाभ लिया गया है, तो क्लेम करने वाले पर पेनल्टी लगाई जा सकती है। इसलिए सप्लायर की GSTR फाइलिंग स्थिति की नियमित समीक्षा आवश्यक है।



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4. ब्लॉक्ड क्रेडिट्स (अवरुद्ध क्रेडिट्स)

धारा 17(5): इसमें उन क्रेडिट्स की सूची दी गई है जिन पर ITC का लाभ नहीं लिया जा सकता, जैसे कि मोटर वाहन, मनोरंजन सेवाएं, भोजन, यात्रा, व्यक्तिगत उपयोग के सामान, आदि।

इन वस्तुओं और सेवाओं पर ITC नहीं लिया जा सकता है, जिससे सुनिश्चित किया जा सके कि केवल वैध और अनुमत इनपुट टैक्स क्रेडिट ही क्लेम किए जा रहे हैं।



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5. प्रोविजनल ITC और कैरी-फॉरवर्ड क्रेडिट्स

धारा 41: इस धारा के अनुसार, प्रोविजनल ITC का क्लेम अस्थायी होता है और सप्लायर द्वारा टैक्स जमा न करने की स्थिति में उसे वापस भुगतान करना होता है।

धारा 16: पुराने या कैरी-फॉरवर्ड किए गए क्रेडिट्स का उपयोग तभी किया जा सकता है जब वे वैध हों और संबंधित टैक्स का भुगतान किया गया हो।



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6. रिकॉर्ड कीपिंग और दस्तावेजीकरण

धारा 35: यह धारा GST रिकॉर्ड रखने और सभी ITC क्लेम्स का दस्तावेजीकरण करने के प्रावधानों को बताती है, ताकि भविष्य में ऑडिट के समय सभी क्लेम सही ठहराए जा सकें।

धारा 36: इसके अनुसार, सभी GST संबंधित दस्तावेजों को 72 महीने तक सुरक्षित रखना आवश्यक है।

धारा 49: ITC को भुगतान के रूप में कैसे उपयोग किया जाए, इस पर प्रावधान देती है। इस धारा का पालन करते हुए, सभी दस्तावेज और क्लेम वैध और ट्रेसबल बनाए जा सकते हैं।



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इन प्रावधानों का अनुपालन सुनिश्चित करके ITC क्लेम को मजबूत, वैध और नियमों के अनुसार पूरा किया जा सकता है।