पृष्ठभूमि
1. व्यवसाय का प्रकार: याचिकाकर्ता टेक्सटाइल मशीनरी का निर्माण करते हैं और GST के तहत पंजीकृत हैं।
2. मुद्दा: वित्तीय वर्ष 2019-2020 में, याचिकाकर्ता को यह गलतफहमी हुई कि उन्होंने GSTR-2A और GSTR-3B के आंकड़ों में अंतर के कारण ₹40,00,000 का ITC (इनपुट टैक्स क्रेडिट) अधिक क्लेम कर लिया।
3. स्वैच्छिक भुगतान: इस गलती को सुधारने के लिए, याचिकाकर्ता ने नवंबर 2020 में ₹40,00,000 की राशि स्वैच्छिक रूप से DRC-03 फॉर्म के माध्यम से जमा कर दी।
4. गलती का पता: 2024 में ऑडिट के दौरान यह पता चला कि कोई अतिरिक्त ITC क्लेम नहीं किया गया था। इसके बाद, मार्च 2024 में GST RFD-01 फॉर्म के जरिए रिफंड के लिए आवेदन किया गया।
विवाद
अधिकारियों का दृष्टिकोण: रिफंड आवेदन को CGST अधिनियम की धारा 54(1) के तहत खारिज कर दिया गया, जिसमें भुगतान की तारीख से दो साल की सीमा का प्रावधान है।
याचिकाकर्ता का तर्क: राशि स्वैच्छिक रूप से और गलती से जमा की गई थी, यह किसी टैक्स, ब्याज या पेनल्टी के लिए नहीं थी, इसलिए धारा 54(1) की समयसीमा लागू नहीं होती। याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि ऐसी राशि को बनाए रखना संविधान के अनुच्छेद 265 का उल्लंघन है, जो बिना विधिक अधिकार के कर संग्रह को प्रतिबंधित करता है।
प्रशासन का तर्क: रिफंड का दावा समयसीमा के बाहर था, और कानून के अनुसार इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता।
कोर्ट के निष्कर्ष
1. स्वैच्छिक भुगतान टैक्स नहीं है: कोर्ट ने स्पष्ट किया कि गलती से किए गए स्वैच्छिक भुगतान धारा 54(1) के तहत कवर नहीं होते हैं, क्योंकि यह केवल टैक्स, ब्याज, या पेनल्टी के रिफंड पर लागू होती है।
2. अनुच्छेद 265 का उल्लंघन: बिना वैध अधिकार के ऐसी राशि को बनाए रखना अनुच्छेद 265 का उल्लंघन है।
3. पूर्व मामले लागू: कोर्ट ने Joshi Technologies और Swastik Sanitarywares जैसे मामलों का हवाला दिया, जिसमें यह तय किया गया था कि गलती से किए गए भुगतान को रिफंड किया जाना चाहिए।
4. ब्याज का अधिकार नहीं: चूंकि भुगतान स्वैच्छिक था, इसलिए याचिकाकर्ता को रिफंड पर ब्याज का अधिकार नहीं दिया गया।
निर्णय
कोर्ट ने रिफंड आवेदन को खारिज करने का आदेश रद्द कर दिया।
अधिकारियों को निर्देश दिया कि ₹40,00,000 की राशि 12 हफ्तों के भीतर बिना ब्याज के वापस की जाए।
कानूनी निष्कर्ष
1. धारा 54(1) की सीमा: यह प्रावधान केवल टैक्स, ब्याज, या पेनल्टी के रिफंड पर लागू होता है, स्वैच्छिक भुगतानों पर नहीं।
2. गलत भुगतान: गलती से किए गए भुगतान को अनुच्छेद 265 के तहत रिफंड किया जाना चाहिए, चाहे वह कानूनी समयसीमा से परे ही क्यों न हो।
3. सीमाबद्धता: गलत भुगतान के मामलों में, सीमा का आरंभ तभी होता है जब गलती का पता चलता है।
4. ब्याज का प्रावधान: स्वैच्छिक भुगतान पर ब्याज का अधिकार तभी होगा जब यह स्पष्ट रूप से निर्धारित हो।
महत्व
यह निर्णय GST प्रणाली में करदाताओं के अधिकारों को मजबूत करता है, खासकर स्वैच्छिक रूप से और गलती से किए गए भुगतान के मामलों में। यह स्पष्ट करता है कि सरकार किसी भी राशि को बिना वैध अधिकार के नहीं रख सकती।
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