Mandatory Implementation of HSN Code Reporting in GSTR-1 and GSTR-1A
HSN codes must now be selected from a predefined drop-down menu.
Table-12 segregated into B2B and B2C tabs for separate reporting and validation.
GSTR-1 और GSTR-1A में HSN कोड अनिवार्य रूप से भरने के लिए Phase-III का कार्यान्वयन
लागू अवधि: जनवरी 2025 से शुरू होने वाले रिटर्न पीरियड से।
GSTN ने Phase-I और Phase-II की सफलता के बाद अब Phase-III लागू किया है, जिससे GSTR-1 और GSTR-1A के Table 12 में HSN कोड रिपोर्टिंग को अधिक सटीक और सरल बनाया गया है।
Phase-III में मुख्य बदलाव:
1. HSN कोड ड्रॉप-डाउन से अनिवार्य चयन:
अब HSN कोड मैन्युअल रूप से दर्ज करने की अनुमति नहीं होगी।
करदाता को सही HSN कोड एक ड्रॉप-डाउन मेन्यू से चुनना होगा।
यह सुनिश्चित करेगा कि HSN कोड सही और मान्य हों, जिससे रिपोर्टिंग त्रुटियों में कमी आए।
उदाहरण:
यदि किसी करदाता ने 5% GST के अंतर्गत आने वाला सामान बेचा है, तो वह HSN ड्रॉप-डाउन से केवल उसी कोड का चयन कर पाएंगे जो उस सामान के लिए मान्य है, जैसे कि "0101" (जिंदा जानवर)।
2. Table-12 को दो भागों में विभाजित किया गया:
B2B (Business-to-Business) सप्लाई:
पंजीकृत करदाताओं (GSTIN वाले खरीदार) को की गई आपूर्ति के लिए।
B2C (Business-to-Consumer) सप्लाई:
बिना GSTIN वाले उपभोक्ताओं को की गई आपूर्ति के लिए।
इस वर्गीकरण से डेटा स्पष्ट होगा और रिपोर्टिंग आसान होगी।
उदाहरण:
B2B: एक करदाता ने ₹1,00,000 मूल्य का माल किसी पंजीकृत व्यापारी को बेचा। इसे B2B टैब में रिपोर्ट करना होगा।
B2C: एक करदाता ने ₹2,000 का माल किसी सामान्य उपभोक्ता को बेचा। इसे B2C टैब में रिपोर्ट करना होगा।
3. डेटा मान्यकरण (Validation):
Table-12 में दर्ज सप्लाई की वैल्यू और संबंधित कर (Tax) की राशि अब स्वचालित रूप से जाँची जाएगी।
शुरुआत में चेतावनी मोड (Warning Mode):
शुरुआती चरण में, यदि कोई विसंगति (discrepancy) पाई जाती है, तो इसे केवल चेतावनी के रूप में दिखाया जाएगा।
करदाता को रिटर्न फाइल करने से रोका नहीं जाएगा, जिससे नई प्रणाली को अपनाने का समय मिलेगा।
4. विस्तृत परामर्श उपलब्ध:
GST पोर्टल पर इस बदलाव के लिए विस्तृत एडवाइजरी उपलब्ध है, जिसे करदाता को अवश्य पढ़ना चाहिए.
करदाताओं के लिए लाभ:
त्रुटियों में कमी:
ड्रॉप-डाउन सुविधा से गलत HSN कोड दर्ज करने की संभावना कम होगी।
बेहतर रिपोर्टिंग:
B2B और B2C डेटा का अलग-अलग वर्गीकरण रिपोर्टिंग को अधिक स्पष्ट बनाएगा।
सुविधाजनक बदलाव:
चेतावनी आधारित वैलिडेशन से करदाताओं को नई प्रक्रिया के साथ सहज होने का समय मिलेगा।
करदाताओं के लिए सुझाव:
इस बदलाव के अनुसार अपनी प्रक्रिया अपडेट करें।
विस्तृत एडवाइजरी को पढ़ें और सुनिश्चित करें कि HSN कोड रिपोर्टिंग सही है।
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