1. केस का नाम और निर्णय की तारीख
Shalender Kumar vs Commissioner Delhi West CGST
फैसले की तारीख: 3 अप्रैल, 2025
कोर्ट: दिल्ली हाई कोर्ट
वकील:
याचिकाकर्ता (Petitioner) की ओर से – Mr. Sidhant Sarwal, Advocate
विभाग (Respondents) की ओर से – Mr. Gibran Naushad और अन्य
2. मुख्य मुद्दा (Legal Issue)
क्या विभाग केवल Section 54(11) के तहत "opinion" बनाकर GST रिफंड रोक सकता है, जब कोई अपील या कार्यवाही लंबित ही नहीं है?
3. केस के तथ्य (Facts of the Case)
Dec 2022: Shalender Kumar ने FMCG exports पर रिफंड क्लेम किया।
June 2023: विभाग ने नोटिस जारी किया – आरोप था कि सप्लायर्स के GSTIN रद्द हो चुके हैं।
Sep 2023: Adjudicating Authority ने ₹15.15 लाख का रिफंड रिजेक्ट कर दिया।
Jan 2024: Appellate Authority ने फैसला याचिकाकर्ता के पक्ष में दिया और रिफंड स्वीकृत कर दिया।
July 2024: विभाग ने Review Order पारित किया (Section 112(3) के तहत)।
Jan 2025: विभाग ने Section 54(11) के तहत रिफंड रोक दिया – कहा "शायद नुकसान होगा"।
Apr 2025: याचिकाकर्ता ने दिल्ली हाई कोर्ट में रिट फाइल की।
4. याचिकाकर्ता की दलीलें (Petitioner’s Arguments)
Appellate Authority का आदेश वैध है, उस पर कोई stay या appeal नहीं है।
विभाग सिर्फ रिफंड रोकने के लिए Section 54(11) का गलत इस्तेमाल कर रहा है।
कोई वैधानिक कार्यवाही लंबित नहीं, तो रिफंड रोका नहीं जा सकता।
5. विभाग की दलीलें (Department’s Arguments)
हमने Section 54(11) के तहत opinion दी कि मालफ़ीसेंस (fraud) हुआ है।
हम GST Appellate Tribunal चालू होते ही appeal करेंगे, इसलिए रिफंड रोकना ज़रूरी है।
6. कोर्ट का निर्णय (High Court’s Judgment)
सिर्फ Section 54(11) की opinion से रिफंड नहीं रोका जा सकता जब तक:
1. कोई अपील या कार्यवाही लंबित न हो, और
2. opinion विधिक और ठोस कारणों पर आधारित न हो।
Appellate Order valid और binding है – जब तक उस पर appeal या stay न हो जाए।
विभाग केवल “appeal करने का इरादा” रखता है, इसका मतलब ये नहीं कि रिफंड रोका जा सकता है।
विभाग को आदेश दिया गया कि:
2 महीने के अंदर रिफंड + ब्याज (Section 56 के अनुसार) जारी करे।
भविष्य में appeal करने पर उसका अलग से विचार होगा।
7. केस में दिए गए Precedents (पूर्व निर्णयों का हवाला)
G.S. Industries vs CGST Delhi West: Refund allowed; appellate order respected
Brij Mohan Mangla vs Union of India: Refund नहीं रोका जा सकता सिर्फ appeal के इरादे से
8. मुख्य निष्कर्ष (Key Takeaways)
✅ Appellate Authority द्वारा स्वीकृत रिफंड valid है जब तक उसे चुनौती न दी जाए।
❌ सिर्फ शक या इरादा काफी नहीं — रिफंड रोकना तभी वैध है जब अपील लंबित हो।
⚖️ Section 54(11) तभी लागू होगा जब opinion के साथ कोई proceeding भी pending हो।
⏳ अगर रिफंड रोका गया हो और गलत तरीके से हो, तो ब्याज भी देना होगा (Section 56)।
Refunds को finality के सिद्धांत के तहत मान्यता दी जानी चाहिए।
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Advocate Sarfaraj Ansari
(Practice- Tax Litigation & Return Compliance Work )
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