अक्टूबर का आगमन ही कारोबारियों और Tax Professional दोनों के लिए एक सख्त याद दिलाने जैसा है। इस महीने की रिटर्न फाइलिंग के साथ बड़ा बदलाव आया है। अब नियम पहले से और भी कड़े हो गए हैं, यानी हर एंट्री को बहुत ध्यान से जाँचना ज़रूरी है।
QRMP स्कीम वाले: तिमाही फाइलिंग।
यह प्रक्रिया पहले से चलती आ रही थी। लेकिन अक्टूबर से स्थिति बदल गई है। अब आप GSTR-1 में जो भी सेल्स डिटेल्स डालेंगे, वही सीधे 3B में आ जाएंगी। 3B में जाकर उन्हें बदला नहीं जा सकेगा। यही सबसे बड़ा बदलाव है।
इसका मतलब क्या है?
अगर आपने GSTR-1 में गलती कर दी, तो वही गलती 3B में लॉक हो जाएगी। बाद में कोई सुधार संभव नहीं होगा। इसलिए GSTR-1 भरते समय विशेष सावधानी ज़रूरी है। एक भी गलत एंट्री आपके टैक्स लायबिलिटी पर सीधा असर डाल देगी।
सुधार कैसे करें?
इसके लिए GSTR-1A लाया गया है। मान लीजिए आपने GSTR-1 में गलती की, तो उसे GSTR-1A के ज़रिए ठीक कर सकते हैं। लेकिन शर्त यह है कि सुधार 3B फाइल करने से पहले करना होगा। उसके बाद सुधार का कोई मौका नहीं मिलेगा। फिर वह गलती अगले महीने की रिटर्न में ही एडजस्ट की जा सकेगी।
ITC को लेकर स्पष्टता:
बहुत से लोगों को यह भ्रम है कि “अब GSTR-2B ऑटो-जेनरेट नहीं होगा” — यह गलत है। GSTR-2B पहले की तरह ही उपलब्ध रहेगा। आप उसे देख सकते हैं, डाउनलोड कर सकते हैं और ITC उसी से ऑटो-पॉप्युलेट होगा। यानी ITC की प्रक्रिया में कोई बदलाव नहीं है।
फाइलिंग तरीका (अक्टूबर से):
1. पोर्टल में लॉगिन करके सबसे पहले नोटिस और ऑर्डर देखें।
2. उसके बाद सुनिश्चित करें कि GSTR-1 सही से भरा गया है।
3. तभी आगे बढ़कर 3B फाइल करें।
अगर यह स्टेप्स अपनाएँगे तो गलती से बच सकेंगे।
अब GSTR-1 ही असली मास्टर रिकॉर्ड है।
3B उसी से बनेगा।
मैनुअल दखल की गुंजाइश खत्म हो गई है।
filing में अब “सटीकता ही सुरक्षा” है।
व्यापारियों और टैक्स प्रोफेशनल्स दोनों को साफ समझ लेना चाहिए कि फाइलिंग केवल फॉर्मैलिटी नहीं है, बल्कि यह वित्तीय शुद्धता और अनुपालन का प्रमाण है। एक गलती से न केवल टैक्स लायबिलिटी, बल्कि क्रेडिट और रिफंड पर भी असर पड़ सकता है।
इसलिए चाहे आप मासिक टैक्सपेयर हों या QRMP स्कीम वाले, इस अक्टूबर की फाइलिंग को अतिरिक्त गंभीरता से लें।