न्यायालय – इलाहाबाद उच्च न्यायालय
निर्णय दिनांक – 02 अप्रैल 2025
न्यायपीठ – डिवीजन बेंच
संदर्भ संख्या – [(2025) 4 TMI 238 :: 2025:AHC:45317-DB]
मामले की पृष्ठभूमि:
अमित कुमार सेठिया, जो एक पंजीकृत करदाता थे, का निधन हो गया। उनके निधन के बाद, जीएसटी विभाग ने उनके खिलाफ टैक्स, ब्याज और पेनल्टी की मांग उठाई। विभाग ने सीधे उनके नाम से कर निर्धारण किया और कोई भी नोटिस उनके कानूनी उत्तराधिकारी को जारी नहीं किया।
मुख्य कानूनी मुद्दा:
क्या किसी मृत व्यक्ति के खिलाफ बिना उनके कानूनी उत्तराधिकारी को शो-कॉज नोटिस भेजे जीएसटी मांग वैध हो सकती है?
अदालत का अवलोकन और निर्णय:
1. मृत व्यक्ति पर कर निर्धारण अमान्य:
जीएसटी अधिनियम, 2017 की धारा 93 यह स्पष्ट करती है कि मृतक व्यक्ति की कर देनदारियां उसके कानूनी उत्तराधिकारी पर स्थानांतरित हो सकती हैं।
हालांकि, कर निर्धारण या मांग केवल कानूनी उत्तराधिकारी के खिलाफ ही की जा सकती है, न कि सीधे मृतक व्यक्ति के नाम पर।
2. शो-कॉज नोटिस भेजना अनिवार्य:
अदालत ने माना कि कानूनी उत्तराधिकारी को उचित नोटिस देना और उनकी बात सुनना विभाग की बाध्यता है।
बिना नोटिस के कर निर्धारण करने से प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन होता है।
3. निर्णय:
न्यायालय ने माना कि विभाग द्वारा किया गया कर निर्धारण अवैध है।
बिना उचित नोटिस के कर मांग उठाना अस्थिर (unsustainable) है।
याचिकाकर्ता (कानूनी उत्तराधिकारी) की याचिका स्वीकार कर ली गई और कर निर्धारण को रद्द कर दिया गया।
यह निर्णय महत्वपूर्ण है क्योंकि यह स्पष्ट करता है कि किसी मृत व्यक्ति के खिलाफ सीधे कर मांग नहीं की जा सकती। यदि विभाग कर वसूली करना चाहता है, तो पहले कानूनी उत्तराधिकारी को नोटिस देना आवश्यक होगा और उन्हें जवाब देने का पूरा अवसर दिया जाना चाहिए।
Adv Sarfaraj Ansari
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