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Saturday, 5 April 2025

मृत व्यक्ति पर जीएसटी मांग अवैध: कानूनी उत्तराधिकारी को नोटिस देना अनिवार्य – इलाहाबाद हाईकोर्ट"(केस: अमित कुमार सेठिया (मृतक) बनाम उत्तर प्रदेश राज्य)

केस: अमित कुमार सेठिया (मृतक) बनाम उत्तर प्रदेश राज्य
न्यायालय – इलाहाबाद उच्च न्यायालय
निर्णय दिनांक – 02 अप्रैल 2025
न्यायपीठ – डिवीजन बेंच
संदर्भ संख्या – [(2025) 4 TMI 238 :: 2025:AHC:45317-DB]

मामले की पृष्ठभूमि:
अमित कुमार सेठिया, जो एक पंजीकृत करदाता थे, का निधन हो गया। उनके निधन के बाद, जीएसटी विभाग ने उनके खिलाफ टैक्स, ब्याज और पेनल्टी की मांग उठाई। विभाग ने सीधे उनके नाम से कर निर्धारण किया और कोई भी नोटिस उनके कानूनी उत्तराधिकारी को जारी नहीं किया।

मुख्य कानूनी मुद्दा:
क्या किसी मृत व्यक्ति के खिलाफ बिना उनके कानूनी उत्तराधिकारी को शो-कॉज नोटिस भेजे जीएसटी मांग वैध हो सकती है?

अदालत का अवलोकन और निर्णय:

1. मृत व्यक्ति पर कर निर्धारण अमान्य:
जीएसटी अधिनियम, 2017 की धारा 93 यह स्पष्ट करती है कि मृतक व्यक्ति की कर देनदारियां उसके कानूनी उत्तराधिकारी पर स्थानांतरित हो सकती हैं।
हालांकि, कर निर्धारण या मांग केवल कानूनी उत्तराधिकारी के खिलाफ ही की जा सकती है, न कि सीधे मृतक व्यक्ति के नाम पर।

2. शो-कॉज नोटिस भेजना अनिवार्य:
अदालत ने माना कि कानूनी उत्तराधिकारी को उचित नोटिस देना और उनकी बात सुनना विभाग की बाध्यता है।
बिना नोटिस के कर निर्धारण करने से प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन होता है।

3. निर्णय:
न्यायालय ने माना कि विभाग द्वारा किया गया कर निर्धारण अवैध है।

बिना उचित नोटिस के कर मांग उठाना अस्थिर (unsustainable) है।

याचिकाकर्ता (कानूनी उत्तराधिकारी) की याचिका स्वीकार कर ली गई और कर निर्धारण को रद्द कर दिया गया।
यह निर्णय महत्वपूर्ण है क्योंकि यह स्पष्ट करता है कि किसी मृत व्यक्ति के खिलाफ सीधे कर मांग नहीं की जा सकती। यदि विभाग कर वसूली करना चाहता है, तो पहले कानूनी उत्तराधिकारी को नोटिस देना आवश्यक होगा और उन्हें जवाब देने का पूरा अवसर दिया जाना चाहिए।

Adv Sarfaraj Ansari
TDS, GST एवं Income Tax से जुड़ी सहायता के लिए संपर्क करें
📞 मोबाइल: 8545873214
📧 ईमेल: (sagzp73@gmail.com ]
(Practicing - Tax Litigation & Return Compliance Work) 

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पार्टनर को वेतन, ब्याज, कमीशन या बोनस दे रहे हैं?तो अब संभल जाइए!1 अप्रैल 2025 से लागू नया नियम –₹20,000 पार होते ही TDS जरूरी!

NewsLetter


April 2025
विषय: पार्टनरशिप फर्म में पार्टनर को भुगतान पर TDS – नया नियम धारा 194T 

कॉल कनेक्ट होती है...

एडवोकेट सरफ़राज़ (Tax Consultant):
अरहम जी, कैसे हैं?

अरहम (पार्टनर – M/s Arham & Co.):
बिलकुल सर, अच्छा हूं। बस ये नया सेक्शन 194T समझ नहीं आया। क्या अब हमें पार्टनर को पेमेंट पर भी TDS काटना होगा?

सरफ़राज़:
जी हां, बिल्कुल! 1 अप्रैल 2025 से Income Tax Act में धारा 194T लागू हो चुकी है। अब यदि फर्म किसी भी पार्टनर को वेतन, ब्याज, पारिश्रमिक, कमीशन या बोनस के रूप में साल में ₹20,000 से अधिक भुगतान करती है, तो उस पर 10% TDS काटना अनिवार्य है।

(तभी कॉल पर रेयान भी जुड़ते हैं)

रेयान :
सर, क्या ये नियम सभी फर्म्स पर लागू होगा, चाहे उनका टर्नओवर कुछ भी हो?

सरफ़राज़:
बिलकुल! ये नियम सभी प्रकार की पार्टनरशिप फर्म्स पर लागू होगा — भले ही फर्म टैक्स ऑडिट के अंतर्गत आती हो या नहीं। अब TAN लेना भी जरूरी हो जाएगा।


केवल दो केस जो सब कुछ स्पष्ट कर देंगे:

Case 1: कुल भुगतान ₹19,000 (TDS नहीं कटेगा)

अरहम:
हमने एक पार्टनर को अप्रैल से दिसंबर तक –

  • ₹10,000 ब्याज,
  • ₹5,000 पारिश्रमिक,
  • ₹4,000 बोनस दिया।

सरफ़राज़:
यहां कुल भुगतान ₹19,000 हुआ, जो ₹20,000 से कम है, इसलिए इस केस में TDS नहीं काटना होगा। लेकिन जैसे ही ये लिमिट क्रॉस होगी, TDS शुरू करना अनिवार्य हो जाएगा।


Case 2: कुल भुगतान ₹35,000 (TDS कटेगा)

रेयान:
अगर हमने दूसरे पार्टनर को –

  • ₹20,000 वेतन,
  • ₹10,000 ब्याज,
  • ₹5,000 कमीशन दिया।

सरफ़राज़:
यहां कुल भुगतान हुआ ₹35,000, जो कि लिमिट से ऊपर है।
इसलिए पूरे ₹35,000 पर 10% TDS = ₹3,500 काटकर सरकार को जमा करना होगा।
ध्यान रहे, TDS भुगतान के समय या खाते में क्रेडिट करते समय — जो पहले हो — तभी काटा जाए।


TAN लेना क्यों जरूरी है?

अरहम:
तो इसके लिए TAN लेना जरूरी होगा?

सरफ़राज़:
जी बिल्कुल! बिना TAN आप न तो TDS काट सकते हैं, न जमा कर सकते हैं और न ही TDS रिटर्न फाइल कर पाएंगे।
अभी TAN के लिए आवेदन करना सबसे बेहतर रहेगा, ताकि आगे चलकर परेशानी न हो।

स कॉल से निकली अहम बात:

यदि आपकी फर्म पार्टनर को वेतन, ब्याज, कमीशन, पारिश्रमिक या बोनस के रूप में भुगतान करती है और वो कुल ₹20,000 सालाना से ज्यादा हो जाता है, तो 10% TDS काटना जरूरी है। इसके लिए TAN अनिवार्य है।


क्या करें अभी?

TAN के लिए तुरंत आवेदन करें
पार्टनर को होने वाले भुगतान की योजना बनाएं
सही समय पर TDS काटें, जमा करें और रिटर्न भरें (Form 26Q)

संपर्क करें

एडवोकेट सरफ़राज़ अंसारी
TAN, TDS, GST एवं Income Tax से जुड़ी संपूर्ण सहायता के लिए संपर्क करें

📞 मोबाइल: 8545873214
📧 ईमेल: (sagzp73@gmail.com ]

Friday, 4 April 2025

"ISD अब अनिवार्य: GST Compliance का नया युग शुरू – क्या आप तैयार हैं?"Input Service Distributor (ISD) Mechanism under GST Effective from 1st April 2025 – समझें असर, ज़रूरत और अगला कदम

GST UPDATE | 
NEWSLETTER
Date: April 2025
From the Desk of: Adv. Sarfaraj Ansari
Subject: ISD (Input Service Distributor) अब अनिवार्य – जानिए क्या करना है?
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"ISD लेना है या नहीं?" – एक सवाल जो अब मज़ाक नहीं, compliance का मुद्दा है।

प्रिय व्यवसायियों,
GST में हुए हालिया बदलावों ने एक पुराने लेकिन अक्सर misunderstood concept — ISD (Input Service Distributor) — को spotlight में ला दिया है।
1 अप्रैल 2025 से, कुछ स्थितियों में ISD registration अब अनिवार्य हो चुका है।

चलिए इसे एक छोटी सी कहानी और उदाहरण से समझते हैं:
कहानी से समझें – GST के चक्कर में उलझे चार दोस्त
Vivek (Ranchi), एक व्यापारी, GST compliance से परेशान होकर अपने दोस्त Rouchin (Dehradun) को कॉल करता है—“ISD registration ज़रूरी है क्या?”
Rouchin को तो कुछ समझ नहीं आता। फिर कॉल पर जुड़ता है Gaurav (Ghaziabad), जो सलाह देता है कि Adv. Sarfaraj Ansari (Ghazipur) से बात करनी चाहिए।
और Adv. Sarfaraj  Ansari के कॉल पर आते हैं, सारा confusion clear हो जाता है!

ISD क्या है – सरल भाषा में
> ISD (Input Service Distributor) वह व्यक्ति/office होता है जो centrally कोई input service (जैसे CA fees, legal services, software license) की invoice receive करता है, लेकिन उसका उपयोग अन्य branches करती हैं।

GST Amendment (1st April 2025) के बाद, यदि कोई GSTIN इस तरह की cross-branch service invoice receive करता है, तो:

ISD registration लेना अनिवार्य है
बिना ISD, ITC distribute करना non-compliance माना जाएगा
Credit का loss भी हो सकता है
Penalty का खतरा बढ़ जाता है
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एक उदाहरण देखें:
ABC Ltd. की 3 शाखाएं हैं: Delhi (HO), Mumbai, और Bangalore.
Software services की invoice Delhi HO के नाम पर आती है, लेकिन इसका use Mumbai और Bangalore में होता है।
अब ऐसे में:
HO को ISD registration लेना होगा
और उस input service का ITC Mumbai और Bangalore को ISD invoice के माध्यम से transfer करना होगा

क्या करना है अब आपको?
अब व्यवसायियों को तुरंत यह analyze करना चाहिए:
क्या आप centralized services लेते हैं?
क्या invoice किसी एक location के नाम पर आती है लेकिन उपयोग अन्य जगह होता है?
क्या आपकी entity multi-state registered है?

अगर हाँ, तो:
1. ISD Registration तुरंत करें
2. Determine करें कि किस राज्य में ISD लेना है
3. ITC distribution के लिए system और SOP तैयार करें

ISD से जुड़े फायदे:
ITC Loss से बचाव
GST compliance में सुधार
Audit में transparency और clarity
Multiple GSTINs के बीच ITC transfer का कानूनी तरीका

यदि आप ISD applicability को लेकर unsure हैं, तो हम आपके लिए पूरी end-to-end सहायता दे सकते हैं l

Need clarity or support?
Reach out to us at:
Adv. Sarfaraj Ansari 
(SM Associates) 
[Phone: 8545873214]
[Email: sagzp73@gmail.com]